रावतपुराधाम । राष्ट्रीय संत मुरारीबापू ने पूज्य व्यासपीठ से कहा कि आज शीतल पवन बह रही है ऐसे शीत माहौल में रामकथा चौथे पडाव में प्रवेश कर रही है। हमें किसी से द्वेष नहीं रखना चाहिए। दैनिक जीवन में किसी से द्वेष नहीं रखना चाहिए, ब्राम्ह्मणों से द्वेष नहीं रखना चाहिए। हमें विश्व कल्याण के मंगल के लिए अध्ययन करना है। साधू को प्रेम करने से कोई हानि नहीं होती साधू, साधू रहता है विभीषण जैसे सज्जन साधू पर लात मारकर रावण का क्या हुआ ये आप जानते हैं। सनातन वैदिक धर्म एक मात्र धर्म है जिसकी शाखाओं से अनेक सम्प्रदाय निकले। सनानत धर्म की सालों से कोई गिनती नहीं है इसलिए इसे सनातन धर्म कहा गया। यही तो सनातन का मूल है यह मैं नहीं कह रहा हूं यह गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित मानस कह रही है। आज संत मुरारी बापू महाराज रविशंकर कर्मयोगेश्वर के साथ पूज्य व्यासपीठ पर पहुंचे। इस अवसर पर वेद शिक्षा ग्रहण कर रहे शिक्षार्थियों ने शंख, घण्टे, घडियाल बजाकर पूज्य बापू का स्वागत किया। रामकथा की शुरूआत वेदपाठ आ नो भद्राः क्रतवो के साथ हुई। महाराज रविशंकर जी (रावतपुरा सरकार) कर्मयोगेश्वर ने रामकथा को आम भक्तों के बीच बैठकर सुना संतश्री बापू ने रामकथा की शुरूआत सियाराम, सियाराम, सियाराम, सिय, सिय श्रीराम के साथ की। इसके बाद उन्होंने हनुमान चालीसा का संगीतमय पाठ किया। उन्होंने कहा कि इस पावन रावतपुरा हनुमान जी के चरणों में प्रणाम करते हुए पवन तनय हनुमान के साथ इस स्थान के परमपूज्यनीय रविषंकर जी रावतपुरा सरकार के चरणों में प्रणाम करता हूं। यहां उपस्थित सभी पूज्य संत विद्वानगण और भक्तगणों को व्यासपीठ से मेरा प्रणाम जय श्रीराम।
शिव ही सनातन है
उन्होंने कहा कि भगवान शिव धर्म का मूल है। सनातन धर्म की जड शिव है। शिव धर्म की जड़ है शिव की आलोचना करोगे तो क्या धर्म बचेगा ? कोई खुलकर गर्जना करेगा तो उसका क्या होगा ? यह वो ही जाने हमें तो द्वेष मुक्त संदेश देना है यह साधू का कर्तव्य है। उन्होंने इस अवसर पर एक शेर शीश महल में हर कोई का चेहरा एक सा लगता है सभी पंथों का हम आदर करते है ईश्वर को हम धर्म कहते हैं आचार्य पथित को हम सम्प्रदाय कहते हैं। सनातन धर्म की महिमा निराली है इसका मूल शंकर है ईश्वर के पास जाने के लिए सीढी चाहिए वह सीढी प्रेम और धर्म देता है। रामकथा का संचालन रमाकान्त व्यास जी ने किया।
हर वस्तु का ज्यादा इस्तेमाल करना नशा होता है। कल मैंने आपको अमृतम मदिरा के बारे में विस्तार से बताया था। आज भी मैं फिर कह रहा हूं शराब भी मत पियों लेकिन दूध भी ज्यादा मत पियो किसी भी चीज की अधिकता स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
उन्हांने आज पवन तनय हनुमान जी के बारे में एक फिर विस्तार से बताते हुए कहा कि पवन तनय के तत्व क्या हैं? कल हम पवन तनय के ऊपर चरित्र की व्याख्या की थी। किषकिन्धा काण्ड में पवन तनय तीन बार सुन्दर काण्ड में दो बार और लंका काण्ड में दो बार आये है। पांच तत्वों की शुद्धि को चरित्र कहते हैं। कर्म शुद्धि, द्रव्य शुद्धि, मंत्र शुद्धि, चित्त शुद्धि, वचन शुद्धि यह पांच तत्व जिसमें होंगे वो चरित्रवान होगा। कर्म शुद्धि अर्थात अपने कर्म से दूसरें का लाभ मिले। राम काज करवे को आतुर भगवान श्रीराम के लिए कर्म किया हनुमान जी कितने शुद्ध है हनुमान के कर्म शुद्ध है, द्रव्य शुद्धि अर्थात यह धन का दान अपने लाभ का दस प्रतिशत दान देने से द्रव्य शुद्धि होती है। विस्तार से व्याख्या देते हुए उन्होंने बताया कि अगर भूख लग रही है तो क्या आप नोट खाओगे आपको अपने पैसों से भोजन खरीदना ही पडेगा। अमेरिका जैसे विदेशों में जाकर भी अपनी मुद्रा का परिवर्तन कराना पडता है क्या यह नोट ऊपर चलेगा ? इसलिए परिवर्तन कराने के लिए अपने लाभ का दस प्रतिशत दान देना ही पडेगा। मैं जहां जहां भी रामकथा करता हूं हर जगह द्रव्य दान की बात करता हूं। लोगों ने भी मानना शुरू किया है। मंत्र शुद्धि राम मंत्र जैसा पवित्र मंत्र इस दुनिया में नहीं है। चित्त शुद्धि भगवान हनुमान का मन रावण के स्वर्ण महल में भी नहीं डोलता यह चित्त शुद्ध है, वचन शुद्धि ऐसे प्यारे बोल बोलना चाहिए जिससे सबका मन खुष हो जाए। अषोक वाटिका में माता सीता से जो संवाद हनुमान जी का हुआ है वह वचन शुद्धि का सबसे बडा उदाहारण है ऐसे हैं हमारे भगवान हनुमान जी। इसी कारण जामवन्त भगवान पवन तनय का गायन करते हैं। पवन तनय को केन्द्र में रखकर हम आपसे सीधा संवाद कर रहे हैं।
पवन तनय का पर्याय शब्द ब्रम्ह्मा है ब्रम्ह्म को लेकर हम स्वात्तिक संवाद कर रहे हैं। वायु के नाम प्रभंजन, समीर, पवन है। पवन से पैदा होने वाले का नाम भी पवन तनय है। पवन से ही सूर्य का जन्म होता है, बांसुरी भी पवनजय है। पवन गतिषील है भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं समीर वायु, हवा, पवन, मारूति यह सृष्टि के रत्न हैं। जब भगवान श्रीराम का प्रारब्ध होता है तब इन्द्र सहित सारे देवता व हनुमान जी भी उपस्थित थे। एक ही एंगल को देखने के लिए कई जगह से देखने की भारतीय ऋषि परम्परा है भगवान राम जब वनवास गए। तब ऋषि भारद्वाज के आश्रम से उनके चार षिष्यों के साथ आगे बढते है कुछ दूर जाकर वह निषादराज को विदाई देते हैं यह कर्तव्य बोध कराता है रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं उसके बाद तापस का प्रवेश होता है। बाद में विद्वान खोज करते हैं उस तापस का नाम क्या है? हमने तो क्या किसी ने भी श्रवण के माता पिता का नाम नहीं सुना। राजा दशरथ को भी मृत्यु के समय तापस की याद आयी। जब निषादराज भगवान श्रीराम मॉ जानकी, भगवान लक्ष्मण को छोडकर वापिस लौटे तब हनुमान जी भगवान श्रीराम को अकेला कैसे छोड सकते थे ? कोई कहते है तापस अग्निदेव थे अग्नि तो हनुमान का नाम है, हनुमान के दादा का नाम आकाश है आकाश से वायु का जन्म होता है वायु से जल निर्मित होता है आज का विज्ञान कहता है जो पानी और वायु से बनता है और यह बात हजारों साल पहले रामचरित मानस में कही जाती है। गोस्वामी तुलसीदास का रामचरित मानस पवित्र वैज्ञानिक ग्रंथ है मैं नासा के वैज्ञानिकों को निमंत्रित करता हूं आयें और देखें कि हमारी पवित्र पोथी वैज्ञानिक है।
संतश्री बापू ने इस अवसर देवराज इन्द्र के पुत्र जयन्त की कथा सुनायी। जयंत कौवे का रूप धारण कर श्री राम का बल देखना चाहता था। तुलसीदास लिखते हैं कि जैसे मंदबुद्धि चींटी समुद्र की थाह पाना चाहती हो उसी प्रकार से उसका अहंकार बढ़ गया था और इस अहंकार के कारण सीता चरण चोंच हतिभागा। मूढ़ मंद मति कारन कागा, चला रुधिर रघुनायक जाना। सीक धनुष सायक संधाना वह मूढ़ मन्द बुद्धि जयन्त कौवे के रूप में सीता जी के चरणों में चोंच मारकर भाग गया। जब रक्त निकलने लगा तो रघुनाथ जी ने जाना और एक सीक कौए की तरफ उछाली हे शरणागत के हितकारी, मेरी रक्षा कीजिए। आपके अतुलित बल और आपकी अतुलित प्रभुता (सामर्थ्य) को मैं मन्दबुद्धि जान नहीं पाया था। अपने कर्म से उत्पन्न हुआ फल मैंने पा लिया। अब हे प्रभु ! मेरी रक्षा कीजिए। मैं आपकी शरण तक कर आया हूँ। (शिवजी कहते हैं -) हे पार्वती ! कृपालु श्री रघुनाथजी ने उसकी अत्यंत दुःख भरी वाणी सुनकर उस सीख ने एक आंख का काना करके छोड़ दिया। वह सीक कौन थी वह हनुमान जी थे। हनुमान जी के मूल में निर्मल प्रेम है। इस अवसर पर उन्होंने एक शेर सुनाते हुए कहा उसके घर पर जो ताला डाला है मेरे दोस्तों ने डाला है। यहां स्नेह मतलब परमात्मा की भक्ति है प्रेम करने वाला थकता नहीं है यह भक्ति मार्ग की पकि्ंतयां हैं उन्होंने एक गीत मौत वहीं जो दुनिया देखे योग करो प्रणायाम करो अच्छी बात है प्रेम आखिरी लक्ष्य होता है मेरा भक्ति मेरा अनुराग तेरे साथ दिन रात चौगुना बढे। इश्क माने भागवत प्रेम, भक्ति करने वाला अमीर और निन्दा करने वाला फकीर है। प्रेम का चिराग जलता है।
मुरारी बापू ने बताया शिवरात्रि के दिन मैं 75 साल का हो जाऊंगा। मैंने कहा अब भी जवान हूं पटना विश्वविद्यालय के एक छात्र ने चिट्ठी भेजी भगवान बुद्ध जब जवान थे तब उन्होंने घर द्वार छोड दिया था आप क्या करोगे? मुरारी बापू ने कहा कि भगवान की कथा जवान करती है और लोगों को भी जवान करती है। इस भीषण सर्दी में मैं बैठा हूं मैं कैसे कह दूं मै थक गया हूं। इस अवसर पर उन्होंने गौमाता के सेवा के बारे में भी विस्तार से बताया उन्होंने कहा गौ का मतलब जल, इन्द्रियां, वाणी, स्वर्ग जैसे कई शब्दों की विस्तार से व्याख्या की। संतों की कृपा से परमात्मा की कृपा से
उन्होंने कहा अभी अभी थोडे दिनों पहले की बात है कुछ सांसद, संसद में हॅस रहे थे, खिल्ली उडा रहे थे इस पर देश के गृहमंत्री ने कहा कि हॅसो हॅसो खूब हॅसो खिल्ली उडाओ पूरा देश देख रहा है।