भोपाल !  छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हुए नक्सली हमले ने मध्य प्रदेश की राजनीति में उबाल ला दिया है। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों ही एक दूसरे को हमले की लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इतना ही नहीं, दोनों का एक दूसरे पर हमले की साजिश रचने का आरोप लगा रहे हैं।
बीते शनिवार को छत्तीसगढ़ के दरभा में नक्सली हमले में कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा सहित 28 लोग मारे गए थे, वहीं बुजुर्ग नेता विद्याचरण शुक्ल गंभीर रूप से घायल हुए थे जिनका अभी भी जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष जारी है।
हमले के बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित भाजपा के कई दिग्गज नेताओं ने छत्तीसगढ़ का दौरा कर हमले को दर्दनाक व नक्सल समस्या पर एकजुट होकर लड़ने की वकालत की। इतना ही नहीं, सभी ने हमले पर राजनीति न करने की हिदायत भी दी।
छत्तीसगढ़ का मध्य प्रदेश से करीबी नाता है, क्योंकि छत्तीसगढ़ पूर्व में मध्य प्रदेश का ही हिस्सा रहा है। दोनों राज्यों के नेताओं ने कभी मिलकर एक राज्य में काम भी किया है। एक राज्य की राजनीति का दूसरे राज्य पर असर भी होता है, यह दोनों दलों के नेता मानते हैं। पहले हमले में साजिश होने और फिर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह द्वारा सुरक्षा में चूक स्वीकारे जाने के बाद तो मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेताओं को भाजपा का हमला करने का मौका ही मिल गया।
राजनीतिक हमले की शुरुआत की है मध्य प्रदेश की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने की। उन्होंने तो यहां तक कह डाला कि कांग्रेस नेताओं पर हमले की साजिश में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह शामिल हैं। नक्सिलयों की कार्यवाही की उन्हें पल-पल की जानकारी मिल रही थी और वे इसका ब्योरा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह को दे रहे थे। महत्वपूर्ण बात यह है कि भूरिया ने यह नहीं बताया कि उनके पास इस आरोप के पीछे तथ्य क्या है।
भूरिया के आरोप के बाद कांग्रेस का कोई बड़ा नेता उनके समर्थन में खड़ा नजर नहीं आया, मगर कुछ भूरिया समर्थकों ने जरूर सहमति जताई। भूरिया के आरोप ने मानो भाजपा को सोते हुए से जगा दिया। यही कारण है कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने सवाल उठाए दिए कि आखिर कांग्रेस विधायक कपासी लकमा नक्सलियों के पास से बचकर कैसे आ गए। वहीं प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने तो सीधे तौर पर हमले की साजिश में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। भाजपा के मध्य प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार ने भी जोगी पर ही संदेह जता डाला।
राज्य में इसी वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में बढ़त पाने के लिए दोनों प्रमुख दलों के नेताओं ने अभी से हथकंडे अपनाना शुरू कर दिए हैं। उन्हें इस बात से कतई गुरेज नहीं है कि उनकी इस तरह की जुबानी जुगाली से किसी की भावनाएं भी आहत हो रही होंगी। उन्हें अगर मतलब भी है तो सिर्फ चुनाव में जीतने से।

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