ग्वालियर !  भारतीय जनता पार्टी.भाजपा.के महासचिव एवं मध्यप्रदेश प्रभारी अनंत कुमार ने आज आरोप लगाया कि नक्सलवाद और दशहदगर्दी को लेकर केन्द्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन.संप्रग.सरकार दोहरा मापदंड अपना रही है।  श्री कुमार ने प्रदेश भाजपा कार्य समिति की बैठक के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि देश में नक्सली समस्या ने सिर उठाया है और उसका विस्तार हुआ है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन.राजग.सरकार के कार्यकाल मे जहां देश मे नक्सली प्रभावित 57 जिलें थे। जो अब संप्रग सरकार के 9 वषा9 के कार्यकाल में बढकर 250 से अधिक नक्सल प्रभावित जिले हो गए है।
उन्होने कहा कि पशुपति से लेकर तिरूपति तक लाल गलियारे का विस्तार कांग्रेस के दोहरे मापदंड के कारण हुआ है। कांग्रेस अध्यक्ष और प्रधानमंत्री ने वर्ष 2010 में छत्तीसगढ में नक्सलियो द्वारा सीआरपीएफ के 76 जवानों की नृंशस हत्या किये जाने पर संवेदना के दो शब्द कहना भी गवारा नहीं किया था। वही कांग्रेस आज नक्सली हिंसा का दोष दूसरों पर मढकर घटिया राजनीति कर रही है। भाजपा के कार्यर्कता कांग्रेस के दुष्प्रचार का मुंहतोड जबाव देंगे।
श्री कुमार ने नक्सली हिंसा को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व पर दोषारोपण करने के दुस्साहसिक प्रयासों की कडें शब्दो में निंदा करते हुए कहा कि कांग्रेस स्वयं नक्सली हिंसा की इस बर्बर घटना को लेकर संदेह के घेरें में है। छत्तीसगढ के कांग्रेसी विधायक लकमा खवासी का इस घटना में बेदाग बचना और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का घटना के पूर्व ही काफिलें से अलग हो जाना संदेहों को पुष्ट करता है। इस मामले मे देशभर में जो आशंका व्यक्त की जा रही है उसे भाजपा ने दोहराया है। भाजपा ऐसे संवेदनील मामलें मे आरोप प्रत्यारोप नहीं करना चाहती है।
उन्होनें कहा कि पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक में घटना की कडे शब्दों में निंदा की गयी थी और अपेक्षा व्यक्त की गयी थी कि इस संवेदनील मामलें में आरोप..प्रत्यारोप नहीं लगायें जायेंगे। कांग्रेस के मध्यप्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और अन्य वरिष्ठ कांग्रेसियों ने जिस तरह आरोप..प्रत्यारोप की गंदी राजनीति की है उसकी निंदा की जाना चाहिए।
श्री कु मार ने कहा कि कांग्रेस को आत्म परीक्षण करने की आवश्यकता है। संप्रग सरकार की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य खुद भी नक्सली हिंसा का र्समथन करते है और नक्सलियों को प्रोत्साहित करते है। ऐसे में संप्रग सरकार नक्सली हिंसा से निपटने में साहस दिखायेंगी इसकी कतई उम्मीद नहीं की जा सकती। ऐसे सदस्यों को सलाहकार परिषद से तत्काल बाहर किया जाना चाहिए।
श्री कुमार नें कहा कि राजग सरकार ने दशहतगर्दी पर लगाम लगाने के लिए सख्त कानून बनाया था और उसका असर भी हुआ था।लेकिन वर्ष 2004 में सत्ता में आने के बाद संप्रग सरकार ने दशहतगर्दी के खिलाफ बनाये गए कानून को ही समाप्त कर दिया और इसे राजनीतिक लाभ के लिए प्रचारित कर दशहतगर्दी का मनोबल बढाया है।उन्होने कहा कि छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद न्यायिक जांच आयोग का गठन कर दिया है और जांच भी शुरू हो गयी है। इसलिए अब गंदी राजनीति से बचकर आयोग के जांच निष्र्कष की प्रतीक्षा करना चाहिए।
उन्होने कहा कि कांग्रेस कांच के मकान में रहकर दूसरों के मकान पर पत्थर फेंकने की अभ्यस्त है। उन्होने श्री दिग्विजय सिंह से पूछा है कि जब नक्सलवाद के खिलाफ कढी कार्रवाई किये जाने के लिए तत्कालीन केन्द्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने संकल्प लिया थांतब श्री सिंह ने एक लंबा पत्र लिखकर श्री चिदम्बरम को क्यों इस रास्ते से हट जाने के लिए विवश किया था। उन्होने कहा कि नक्सलवाद एक राष्ट्रीय समस्या है इस पर राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त रूप से राज्यों सरकारो के सहयोग से कार्यवाही की जाना चाहिए।
श्री कुमार ने कहा कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल हुई है और इस प्रदेश के विकास के मॉडल को देश मे स्वीकार किया गया है।उन्होने दावा करते हुए कहा कि श्री चौहान के नेतृत्व में भाजपा की मध्यप्रदेश मे तीसरी बार सरकार बनेगी। पार्टी के कार्यर्कताओं में विजय के प्रति आत्मविश्वास है इसे अति विश्वास नहीं माना जाना चाहिए।

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