इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर संभाग के देवास जिले के सोनकच्छ अपनी आलोकिकता दिव्यता से जग को उजाला देने वाले मानव सेवा के कार्य में अग्रणी पुष्पगिरि तीर्थप्रेणता आचार्य श्री पुष्पदंतसागरजी महाराज की आशीष-अनुकम्पा की छाँव तले अपने गुरु से तपाचार्य उपाधि से विभूषित अन्तर्मना मुनिश्री प्रसन्नसागरजी महाराज और जिनकी पावन सानिध्य में रहकर अमृततुल्य जीवन बनाने वाले मुनिश्री पीयूषसागरजी महाराज के कुशल निर्देशन मुनि श्री प्रमुख सागर, प्रणाम सागर व प्रगल्प सागर जी महाराज क्षुल्लक व ऐलक श्री पर्व सागरजी के साथ में पंच दिवसीय पुष्पगिरि महोत्सव कल्पतरु सर्वतोभद्र जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव एवं विश्वकल्याण कामना महायज्ञ कार्यक्रम का भव्य आगाज बैंड-बाजों, ढोल-धमाकों व राजसी ठाट-बाट से शोभायात्रा निकाल कर ध्वजारोहन के साथ हुआ।
सुबह से भगवान की दिव्य आराधना भक्ति के साथ दीपक अर्घ समर्पित किये गए। जिसके बाद आचार्य संघ के सानिध्य में प्रतिष्ठाचार्यों व इंद्र इन्द्रनियों के साथ धूमधाम से तीर्थ पर शोभायात्रा निकाली गई। जोकि माता पद्मश्री सभागृह कार्य्रकम स्थल पहुँची। देवपूजा आज्ञा व गुरु आज्ञा लेकर पंडित प्रदीप जैन मधुर मुम्बई द्वारा मंत्रोच्चार कर चयनित मुख्य पात्रों से सर्वांग यक्ष पूजन सहित अन्य माँगलिक क्रियाएं कराई। मंगलाचरण ब्रह्मचारणी गीता दीदी द्वारा किया गया। जिसके बाद मुख्य पात्रों द्वारा आचार्य संघ को अर्घ समर्पित कर चरण वंदन किये। शांतिधारा प्रदीप जैन कानपुर व मंगल कलश सुमित कुमार जी द्वारा स्थापित किया गया।

भूमि और भूमंडल की पवित्रता का आयोजन है पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव इस माटी का कण-कण अपने अंदर ऊर्जा का संचार करता है। यहां की हर प्रतिमा के अंदर अतिशय प्रकट करती है। मेरे सारे शिष्य मेरे पुत्र है आज मेरे आत्मीय पुत्र यहाँ बैठे हैं। मैंने सिर्फ एक पत्र लिखा कि मैं तुमको देखना चाहता हूं। मेरे पास कुछ है जो तुम्हे देना चाहता हूं। यह बात आचार्य श्री पुष्पदन्त सागर महाराज ने पंचकल्याणक महोत्सव के शुभारंभ कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि हमने भगवान, इंद्र, चक्रवर्ती आदि को तो नहीं देखा, लेकिन तुम इस पुण्य के कार्यों को जरूर देखने आना। आचार्य श्री सागर हैं आप पानी की बूंद बनकर आये हैं।
इसी कड़ी में अन्तर्मन प्रसनं सागरजी महाराज ने कहा कि संत का सिलेक्शन और परमात्मा से कनेक्शन की कला आप मेरे गुरुदेव से सीखे। क्योंकि इलाका किसी का भी हो धमाका तो पुष्पदन्त सागर जी के संघ का होता है। भक्ति के साथ आप कार्यक्रम का आंनद लें।

गुरु आज्ञा का पालन करते हुए पंचकल्याणक प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए सात सौ किलो मीटर से ज्यादा की यात्रा तय कर तीर्थ पर पहुँचे। मुनि श्री प्रणाम सागर जी मुनि प्रमुख सागर व प्रगल्प सागर का अपने आचार्य गुरु पुष्पदन्त सागर जी महाराज मुनि प्रसनं सागर पीयूष सागर जी से आत्मीय मिलन हुआ, जिसे देख भक्त भाव विभोर हो गए। गुरुदेव अपने शिष्यों से मिलने बैंड-बाजों के साथ पुष्पगिरी से 2 किमी दूर गए जहाँ देवास की ओर से आ रहे तीनों संतों का अपने आचार्य गुरु व संघ से आत्मीय मिलन हुआ। संतों ने पुष्पगीरी पर सिंह द्वारा का उद्घाटन किया।

राष्ट्रसन्त सूरत से चातुर्मास सम्पन्न करके प्रतिदिन 30 किलोमीटर पद बिहार करके आज पुष्पगिरी तीर्थ पर अपने गुरु के दर्शन करेंगे और भव्य महा मिलन भी होगा। मुनिश्रीपुलक सागर जी भव्य शोभायात्रा के रूप में पुष्पगिरी पहुंचेंगे। इंदौर और आष्टा हजारों सदस्य बैंड-बाजे के साथ एक ड्रेस कोड में अपने गुरु मुनिश्रीपुलक सागर जी के मंगल प्रवेश में शोभायात्रा में भक्ति के साथ प्रवेश करेंगे।
प्रतिष्ठाचार्य प्रदीप जैन मधुर मुम्बई, चन्द्रकान्त जैन इंडी, आंनद जैन कर्नाटक, सहित कई विद्वानों का गुरुदेव द्वारा सम्मान किया गया। जानकारी देते हुए प्रवक्ता रोमिल जैन ने बताया कि दोपहर में 1 बजे से सभागृह में महामंडलाराधना, यागमण्डल विधान, पंचकल्याणक विधान व भगवान की गर्भकल्याणक पूजन कराई गई। शाम को आरती के बाद भगवान के गर्भकल्याणक का नाटकीय मंचन किया। इस अवसर पर अध्यक्ष पुष्पगिरि न्यास श्री अशोक दोशी, कार्याध्यक्ष डॉ. संजय जैन इंदौर, महामंत्री आर सी गाँधी, कोषाध्यक्ष विवेक गंगवाल, मंत्री ऋषभ जैन अहमदाबाद, संयोजक प्रशांत गंगवाल ग्वालियर, दीपक लुहाडिया, धीरेंद्र गगवाल, आलोक बाकलीबाल, नीरज गंगवाल, सौरभ पहाडिया अनिल जैन बैंग्लुरू, सजन जैन अहमदाबाद सहयोगी के रूप में तीर्थ पर सनत छाबड़ा, आकाश जैन, विकल्प सेठी, आशीष जैन, राजेश सेठी, बिट्टू जैन, सहित कई भक्त मौजूद थे।

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