नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश राज्य के अयोध्या में स्थित 2.77 एकड़ जमीन का फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सिया और सुन्नी दोनों वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया, इसके साथ ही निर्मोही अखाड़े का भी दावा खारिज कर दिया। यानी कि जमीन ना तो हिंदू संगठनों को दी गई ना ही मुस्लिम संगठनों को। जमीन पर सरकार का कब्जा था और अब यह जमीन सरकार की हो गई।

सुप्रीम कोर्ट ने जमीन का मालिक श्री रामलला विराजमान को माना है। यहां बड़ी बात यह समझ रहा है कि श्री राम लला विराजमान है यानी क्या। दर्शन श्री राम लला विराजमान यानी तत्सम है कि राजा और इस क्रम में श्री रामलला विराजमान यानी सरकार। विवाद बढ़ने के बाद सरकार ने इस जमीन को अपनी सुरक्षा में ले लिया था और अब यह जमीन सरकार के मालिकाना हक में चली गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेशित किया है कि वह 3 महीने के भीतर एक नया ट्रस्ट और योजना बनाएं। इसी के साथ यह स्पष्ट है कि विवादित जमीन पर अब जो भी निर्माण कार्य होंगे वह ट्रस्ट द्वारा कराए जाएंगे। विश्व हिंदू परिषद या दूसरे किसी भी हिंदू संगठन का मंदिर निर्माण गतिविधियों में कोई दखल नहीं होगा।

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