भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बाल-विवाह रोकने की दिशा में उठाये गये सख्त कदमों के कारण कम उम्र के अनेक बच्चों को विवाह मण्डप में जाने से रोका गया। इस साल अक्षय-तृतीया के आसपास होने वाले विवाहों तथा सामूहिक विवाह सम्मेलनों पर शासन-प्रशासन द्वारा पैनी नजर रखने के फलस्वरूप विभिन्न जिलों में 219 बाल-विवाह सम्पन्न नहीं हो सके। महिला-बाल विकास विभाग द्वारा विगत फरवरी से बाल-विवाह रोकने के लिये लागू लाड़ो अभियान कारगर साबित हुआ है।
महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती रंजना बघेल ने बाल-विवाह होने से रोकने के विभागीय अमले के प्रयासों की सराहना की है। उन्होंने कहा कि राज्य शासन की सख्ती और समाज की जागरूकता के कारण ही बड़ी संख्या में बाल-विवाह को होने से रोका गया।
लाड़ो अभियान के तहत सभी जिलों में कार्य-योजना अनुसार व्यापक गतिविधियाँ आयोजित की गईं। जिला प्रशासन ने महिला-बाल विकास के अमले के सहयोग तथा स्वैच्छिक संगठनों, जन-प्रतिनिधियों, धर्म-गुरुओं की मदद से इस मुहिम को लगातार सफलता दिलवाई। अनेक जिलों में बाल-विवाह रुकवाने के लिये पुलिस की भी मदद ली गई। बाल-विवाह रोकने के लिये सरकार द्वारा उठाये गये ऐहतियाती कदमों तथा इसके दुष्परिणामों के किये गये व्यापक प्रचार-प्रसार का भी जन-मानस पर अच्छा असर हुआ। जहाँ-जहाँ से बाल-विवाह होने की सूचना विभागीय अमले को मिली है, वहाँ-वहाँ तत्परता पूर्वक कार्यवाही कर बाल-विवाह होने से रोके गये। अनेक स्थानों पर अभिभावकों को समझाइश भी दी गई। उन्हें बाल-विवाह विरोधी कानून की जानकारी देकर बाल-विवाह न करवाने की हिदायत भी प्रभावी सिद्ध हुई।
महिला-बाल विकास विभाग को बाल-विवाह रोकने के संबंध में विभिन्न संभाग से आज शाम तक जो जानकारी प्राप्त हुई, उसमें उज्जैन संभाग में 38 बाल-विवाह होने से रोके गये। इनमें उज्जैन और नीमच जिले में 13-13, देवास में 5, रतलाम में 3, शाजापुर और मंदसौर में 2-2 बाल-विवाह को होने से रोका गया। नर्मदापुरम् संभाग में 16 बाल-विवाह नहीं हो सके। होशंगाबाद जिले में 6, बैतूल में 9 और हरदा में एक बाल-विवाह शासन की सक्रियता से नहीं हो सका। भोपाल संभाग में 28 बाल-विवाह को सम्पन्न होने से रुकवाया गया। इस संभाग के अंतर्गत राजगढ़ जिले में 8, रायसेन और सीहोर में 7-7, भोपाल में 5 और विदिशा में एक बाल-विवाह रोका गया।
जबलपुर संभाग में 29 बाल-विवाह को होने नहीं दिया गया। मण्डला जिले में 15, छिन्दवाड़ा में 11, सिवनी में दो और जबलपुर में एक बाल-विवाह को रोका गया। सर्वाधिक 33 बाल-विवाह इंदौर संभाग में रोके गये। इंदौर जिले में 11, धार में 9, खरगोन में 6, खण्डवा में 5 और झाबुआ में 2 बाल-विवाह होने से रोके गये। जिला प्रशासन द्वारा तत्परता पूर्वक की गई कार्यवाही के फलस्वरूप रीवा संभाग में 25 नाबालिग जोड़ों का बाल-विवाह न हो सका। सिंगरौली जिले में 19, सतना में 3, सीधी में 2 और रीवा में एक बाल-विवाह को रुकवाया गया। सागर संभाग में 15 बाल-विवाह को सम्पन्न होने से रुकवाया गया। सागर जिले में 7, दमोह में 4, छतरपुर और टीकमगढ़ में 2-2 बाल-विवाह प्रशासन की मुस्तैदी से रोके गये।
सर्वाधिक 30 बाल-विवाह शहडोल संभाग में रोके गये। इनमें अकेले शहडोल जिले में 26 बाल-विवाह होने की जानकारी विभागीय अमले और जिला प्रशासन को प्राप्त हुई थी, जिन्हें सक्रियता पूर्वक रुकवाया गया। इसी तरह चम्बल संभाग के अंतर्गत भिण्ड जिले में 4 और श्योपुर में एक बाल-विवाह को सख्तीपूर्वक रोका गया। अनेक जिलों में महिला-बाल विकास एवं जिला प्रशासन के अमले को बाल-विवाह होने की जो सूचनाएँ प्राप्त हुईं, उनमें से अधिकांश असत्य पाई गईं। अनेक स्थानों पर अधिकारियों ने मौके पर पहुँचकर वर-वधु के आयु संबंधी प्रमाण-पत्रों की जाँच-पड़ताल भी की। महिला सशक्तिकरण द्वारा चलाये गये लाड़ो अभियान और शासन-प्रशासन की सख्ती के कारण बाल-विवाह की तैयारियाँ धरी की धरी रह गईं।