भोपाल ।     मध्यप्रदेश में बाल विवाहों को रोकने के लिए राज्य सरकार ने इस साल भी सख्त कदम उठाये हैं। बाल विवाह की रोकथाम के लिए फरवरी माह से लागू लाड़ो अभियान की कार्य-योजना के तहत जिलों में विशेष गतिविधियाँ संचालित की गई हैं। अभियान को पूरे साल जारी रखने का निर्णय लिया गया है। जिला कलेक्टरों का ध्यान उन तिथियों की और दिलाया गया है, जिनमें बड़ी संख्या में विवाह अथवा सामूहिक विवाह समारोह होते हैं। इनमें अक्षय तृतीया अथवा आखा-तीज प्रमुख है, जो सोमवार 13 मई को है।

बाल विवाह करना, बाल विवाह रोकथाम अधिनियम-1929 के अंतर्गत गैर कानूनी है। इसमे कैद या जुर्माना दोनों सजाएँ हो सकती हैं। इस अधिनियम की धारा-2 के उप खण्ड ‘क’ के अनुसार‘‘बालक’’ से अभिप्रेत, पुरूष से है जो इक्कीस वर्ष से कम आयु का हो और यदि नारी हो तो अठारह वर्ष से कम आयु की हो। उप खण्ड ‘‘ख’’ के अनुसार बाल विवाह से ऐसा विवाह अभिप्रेत है, जिसके बन्धन में आने वाले दोनों पक्षकारों में से कोई भी बालक हो। उप खण्ड ‘ग’ विवाह के ‘‘बन्धन में आने वाले पक्षकार’’ से संबधित है। पक्षकारों में से कोई भी जिसके विवाह का एतद द्वारा अनुष्ठान किया जाए या किया जाने वाला हो, से अभिप्रेत है।

अधिनियम की धारा-3 में बाल विवाह करने वाले इक्कीस वर्ष से कम आयु के पुरूष वयस्क के लिए दण्ड का प्रावधान है। इसके अनुसार जो कोई अठारह वर्ष से अधिक या इक्कीस वर्ष से कम आयु का पुरूष होते हुए बाल विवाह करेगा, वह सादा कारावास से जिसकी अवधि 15 दिन तक की हो सकेगी अथवा जुर्माने से जो एक लाख तक का हो सकेगा या दोनों से दण्डनीय होगा। धारा-4 में बाल विवाह करने वाले इक्कीस वर्ष से अधिक आयु के पुरूष वयस्क के लिए दण्ड का प्रावधान है। जिसके अनुसार जो कोई इक्कीस वर्ष से अधिक आयु का पुरूष होते हुए बाल विवाह करेगा वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की होगी, दण्डनीय होगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा। अधिनियम की धारा-5 में बाल विवाह के अनुष्ठान पर दण्ड का प्रावधान है। इसके अनुसार जो भी बाल विवाह को सम्पन्न करेगा, संचालित करेगा या निर्दिष्ट करेगा वह जब तक यह साबित न कर देगा कि उसके पास विश्वास करने का कारण था कि वह विवाह, बाल विवाह नहीं था, तीन मास की अवधि के सादा कारावास की सजा तथा जुर्माने से दण्डनीय होगा।

अधिनियम की धारा-6 में बाल विवाह से सम्बद्ध माता-पिता या संरक्षक के लिए दण्ड का प्रावधान है। माता-पिता या संरक्षक या अन्य किसी विधि पूर्ण या विधि विरूद्ध हैसियत से वयस्क की देख-रेख करने वाला कोई भी व्यक्ति जो विवाह को दुष्प्रेरित करने के लिए कोई अन्य कार्य करेगा अथवा उसका अनुष्ठान किया जाना अनुज्ञात करेगा अथवा अनुष्ठान का निवारण करने में उपेक्षापूर्ण असफल रहेगा, वह सादा कारावास से और जुर्माने से दण्डनीय होगा। कारावास की यह अवधि तीन मास तक की हो सकेगी परंतु कोई स्त्री कारावास से दण्डनीय नहीं होगी। इसी प्रकार धारा-12 में अधिनियम के उल्लंघन में किये जाने वाले विवाह का प्रतिषेध करने वाला आदेश निकालने की शक्तियाँ निहित हैं।

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