ग्वालियर। दशकों तक मानसिंह, फूलनदेवी और मलखानसिंह जैसे खूंखार डकैत सरगनाओं के आतंक से अभिशप्त रहे चम्बल और क्वारी नदियों के बीहड़ों में अब कल-कारखाने लगेंगे। प्रदेश सरकार ने इन नदियों के किनारे स्थित जमीन को उघोगपतियों को देने की तैयारी कर ली है।
जिला प्रशासन द्वारा फिलहाल जिले के अटेर क्षेत्र में चंबल और कुंवारी नदियों के बीहडांें की लगभग 119 हैक्टेयर जमीन इसके लिए चिन्हित कर ली गई है। बताया जाता है कि प्रशासन ने यह कदम आगामी 26 अक्टूबर को इंदौर में होने जा रही ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के सिलसिले में उठाया है। समझा जा रहा है कि देश के कुछ बडे उद्योग समूहों द्वारा चम्बल घाटी में लाखों हैक्टेयर बेकार पड़ी बीहड़ों की जमीन पर कारखाने लगाने में रुचि प्रदर्शित की गई है जिसके चलते ही सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने यहां बीहड़ी जमीन को चिन्हित करने की कार्रवाई की है। अगर ऐसा हो पाया तो जिले के विकास को नए आयाम मिलेंगे।
उघोग विभाग भिण्ड के जनरल मैनेजर मजहर हाशमी ने बताया कि अटेर क्षेत्र में चम्बल नदी के किनारे बरही में 54 हेक्टेयर और अटेर में 65 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की गई है। ेेऔर इस जमीन को अधिग्रहण की कार्यवाही की जा रही है। इन्दौर में होने बाली इनवेस्टर्स मीट में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह शामिल होने से पहले वह चम्बल के बीहडों का हवाई सर्वे करने भिण्ड आयेंगे।
बताया गया है कि चम्बल के बीहड करीवन एक लाख हेक्टेयर में फैले हुए है। अगर उघोगपति बीहडों में कल-कारखाने लगाते हैं तो इस जिले की तस्वीर और यहां के लोगों की तकदीर ही बदल जायेगी।
चम्बल के बीहड भिण्ड-इटावा मार्ग नेशनल हाईवे 92 पर स्थित होने से आवागमन की अच्छी सुविधा है। चम्बल और क्वारी में भरपूर पानी होने से इसका लाभ उघोगों को मिलेगा।