भोपाल ! मध्य प्रदेश के दूरस्थ और ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह की कुप्रथा अब भी बदस्तूर जारी है। सरकारी स्तर पर हर वर्ष बाल विवाह रोकने के जोरशोर से दावे और वादे किए जाते हैं, मगर बाल विवाह रुक नहीं पा रहे हैं। इस बार भी अक्षय तृतीया पर बाल विवाह होने की संभावनाएं कम नहीं है। यही कारण है कि सरकार से लेकर बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एहतियाती कदम उठाए हैं। राय के जनजातीय बहुल इलाकों से लेकर राजस्थान की सीमा पर बसे अधिकांश जिलों में बचपन में ही जीवनसाथी तय हो जाते हैं। इतना ही नहीं, 15 वर्ष से कम की आयु में परिणय सूत्र में भी बंध जाते हैं। कई जातियां ऐसी हैं जिनमें बालिकाओं की पढ़ाई का कोई महत्व नहीं है और उन्हें कम उम्र में ही वैवाहिक बंधन में बांध दिया जाता है।
राय के महिला बाल विकास विभाग को भी इस बात की खबर है कि बाल विवाह होते हैं। यही कारण है कि विभाग ने बाल विवाह को रोकने के लिए ‘लाडो’ अभियान शुरू किया है। वह लोगों को जागरूक कर रहा है कि बेटी की 18 और बेटे की 21 वर्ष से कम की आयु में शादी न करें। सरकार की ओर से जारी किए गए बड़े-बड़े इश्तहारों में यह बताने की कोशिश की गई है कि कम उम्र में शादी करना ही नहीं, इन समारोहों में शामिल होने वाले भी अपराधी की श्रेणी में आते हैं। बाल विवाह करने वालों व करवाने वालों को सजा का भी प्रावधान है। राय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी बाल विवाह रोकने के लिए कारगर पहल की है। उसकी ओर से कई मोबाइल नंबर जारी किए गए हैं जिन पर एसएमएस के जरिए भी बाल विवाह की सूचना दी जा सकती है। आयोग की सदस्य आर.एच. लता ने आईएएनएस को बताया कि पहले ही दिन उनके पास 40 शिकायतें आई हैं। डबरा में तो दो नाबालिग लड़कियों की शादियां रुकवाई गई हैं। लता ने आगे बताया कि आयोग ने सामूहिक विवाह कराने वाली संस्थाओं व संगठनों को निर्देश जारी किए हैं कि जिस लड़की या लड़के की शादी होने वाली है उसकी उम्र का प्रमाणीकरण आवश्यक तौर पर करें तथा उम्र का प्रमाण अवश्य जमा कराएं। बाल संरक्षण आयोग के पास एक दिन में आई 40 शिकायतों ने एक बात तो साफ कर ही दी है कि राय में बाल विवाह होते हैं। 13 मई को अक्षय तृतीया है और इस दिन हजारों की तादाद में शादियां होंगी। बाल विवाह भी होंगे, देखना है कि इन पर किस तरह से अंकुश लग पाता है।