भोपाल । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली का बेहतर क्रियान्वयन राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। गरीबों के लिये आवंटित अनाज का हर हालात में उन्हीं तक समय से पहुँचना सुनिश्चित किया जाये। इसमें लापरवाही पाई जाने पर सख्त कार्रवाई की जाये। मुख्यमंत्री चौहान यहाँ कलेक्टर-कमिश्नर कांफ्रेंस के उपार्जन एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर केन्द्रित सत्र को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री  चौहान ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाये कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में गड़बड़ी करने वालों को कठोर सजा मिले। उन्होंने कहा कि जिलों से भेजी गई उपार्जन के अनुमान की जानकारी वास्तविक हो। उपार्जन की ऐसी व्यवस्था बनायें जिसमें किसानों को दिक्कत नहीं हो। उन्होंने कहा कि इस वर्ष अच्छी वर्षा हुई है इससे कृषि का रकबा और उत्पादन दोनों बढ़ेगा, इसे ध्यान में रखते हुए उपार्जन के लक्ष्य तय करें। उन्होंने गेहूँ उपार्जन में अच्छा काम करने वाले हरदा, होशंगाबाद, श्योपुर और खण्डवा जिले को बधाई दी।

दो वर्ष में 60 लाख मीट्रिक टन भंडारण की क्षमता बनेगी

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के संबंध में किये गये प्रस्तुतीकरण के दौरान बताया गया कि प्रदेश में नयी वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्सपॉलिसी बनायी गई है। इसके तहत दो वर्ष में 60 लाख मीट्रिक टन भंडारण की क्षमता विकसित की जायेगी। वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स पॉलिसी बनाने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के परिवहन वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाया जायेगा। बताया गया कि इस वर्ष धान की उत्पादकता में 10 प्रतिशत की वृद्धि संभावित है। धान उपार्जन के लिये किसानों के पंजीयन का काम जारी है। अब तक एक लाख 61 हजार किसानों का पंजीयन किया जा चुका है। पंजीयत सभी किसानों का सत्यापन किया जायेगा। धान की समर्थन मूल्य 1250 रूपये है तथा इस पर 100 रूपये बोनस दिया जायेगा। परिवहन व्यवस्था के लिये 170 सेक्टर बनाये गये हैं। धान उपार्जन के लिये प्रदेश में 941 केन्द्र बनाये गये हैं। गरीब वरिष्ठ नागरिक दम्पत्तियों को अंत्योदय अन्न कार्ड जारी किये जा रहे हैं। बोगस राशन कार्ड निरस्त करने के लिये जिस तरह की कार्रवाई ग्वालियर और सागर जिले में की गई है वैसी ही कार्रवाई अन्य जिलों में की जायेगी। लोक सेवा गारंटी प्रदाय अधिनियम में खाद्यान्न के प्रदाय तथा डुप्लीकेट राशन कार्ड देने की सेवा को शामिल करना प्रस्तावित है।

चर्चा के दौरान सुझाव दिया गया कि छोटे और सीमांत किसानों से उपार्जन को प्राथमिकता दी जाये। जहाँ ज्यादा उत्पादन हुआ है वहाँ अधिक केन्द्र बनाये जायें। उपार्जन के लिये मंडियों में आधुनिक व्यवस्था की जाये, खरीदी केन्द्र पर ही गोदाम बनाये जाये। सहकारिता के माध्यम से छोटे गोदाम बनाये जायें। सार्वजनिक वितरण प्रणाली की उचित मूल्य दुकान का सुदृढ़ीकरण किया जाये। वन समितियों को केवल आदिवासी जिलों में ही उचित मूल्य की दुकानों का संचालन सौंपा जाये। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आवंटित खाद्यान्न की जानकारी में पारदर्शिता रहे। दूरस्थ क्षेत्रों के लिये मोबाइल उचित मूल्य की दुकान की व्यवस्था की जाये। ग्रामीण क्षेत्र में किसानों को छोटे भंडारगृह बनाने की सुविधा दी जाये। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रदाय किये गये खाद्यान्न की जाँच सीधे उपभोक्ता से सम्पर्क कर की जाये। बताया गया कि प्रदेश के होशंगाबाद और खण्डवा जिले में केरोसिन का अनुदान सीधे उपभोक्ताओं को देने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। सत्र के दौरान मंत्रीगण, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों, कमिश्नरों और कलेक्टरों ने चर्चा में भाग लिया।

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