भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर घमासान मचा हुआ है। इससे पार्टी की आतंरिक कलह खुलकर सामने आ गई है। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की मांग बढ़ती जा रही है। आज दतिया के जिला कांग्रेस अध्यक्ष अशोक दांगी ने कहा है कि सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाए, अगर नहीं बनाया गया तो वो अपने 500 समर्थकों के साथ कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे देगें।
ग्वालियर-चंबल संभाग में इसके पहले मुरैना के जिला अध्यक्ष राकेश मवई भी सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष अध्यक्ष बनाने की मांग की थी, नहीं बनाए जाने पर कांग्रेस छोड़ने की धमकी दी थी। इधर, शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री कमलनाथ शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले। इस मुलाकात में मप्र पीसीसी चीफ को लेकर भी चर्चा हुई है।
सिंधिया की नाराजगी के सवाल पर कमलनाथ ने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया नाराज हैं। साथ ही वह कहीं नहीं जा रहे हैं। वह पार्टी के साथ ही बने हुए हैं।
दतिया की जिला कांग्रेस कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष अशोक दांगी ने एक चिट्ठी जारी कर पार्टी को साफ कर दिया गया है। उन्होंने लिखा है, अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश की राजनीति से अब और दूर रखा गया तो वो अपने 500 समर्थकों के साथ कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे देगें।
अपनी चिठ्ठी में कांग्रेस नेता दांगी ने लिखा, मध्य प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस की वापसी में ज्योतिरादित्य सिंधिया का अहम रोल रहा। उनके बूते ही पार्टी ने चंबल-ग्वालियर रीजन में अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन सरकार बनने के बाद से ही प्रदेश से उन्हें दूर रखा जा रहा है।
प्रदेश के कुछ कांग्रेस नेताओं को सिंधिया की नेतृत्व क्षमता और लोकप्रियता हजम नहीं हो रही है। इसलिए उन्होंने षडयंत्र करके सिंधिया को प्रदेश की सियासत से दूर किया हुआ है। उन्होंने साफ कर दिया कि अगर पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया तो वो अपने कार्यकर्ताओं के साथ दस जनपथ के बाहर प्रदर्शन करेंगे और अगर ये मांग पूरी नहीं हुई तो सामूहिक रूप से कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस्तीफा सौंप देंगे।
बुधवार की शाम को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह के निवास पर 25 से ज्यादा विधायक जुटे थे और वह अजय सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह को भी अंदर खाने प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की जा रही है।
लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 29 में से 28 सीटें भाजपा ने जीती थी। इसके बाद से ही पीसीसी चीफ बदलने की मांग उठने लगी थी। खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने दिल्ली जाकर इस्तीफे की पेशकश की थी। लेकिन अब तक नए अध्यक्ष का नाम तय नहीं हो पाया है। एक तरफ कमलनाथ अपने करीबी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की कोशिश कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ सिंधिया समर्थक मंत्री उनके नाम पर लामंबदी कर रहे हैं। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय नहीं हो पा रहा है।
अब कांग्रेस में यह बात भी उठने लगी है कि कांग्रेस हाईकमान में निर्णय लेने की क्षमता नहीं है। यही कारण है कि मतदाताओं से भी कांग्रेस दूर होती जा रही है। पार्टी हाईकमान जब कोई निर्णय करती है तब तक कांग्रेस में ही भूचाल आ जाता है। मध्यप्रदेश कांग्रेस में गुटवाजी चरम पर है। प्रदेश में सिन्धिया, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह गुट अपनी-अपनी जगह हावी है।