इंदौर.। मध्यप्रदेश के इंदौर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के दौरान 15 मरीजों की आंखों की रोशनी जाने के मामले में 2 डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। आज गुरुवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. प्रवीण जडिया ने थाने पहुंच लापरवाही के दोषी डॉक्टरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराया। एसपी युसूफ कुरैशी के अनुसार सीएमएचओ के प्रतिवेदन पर डॉ. सुधीर महाशब्दे और डॉ. सुहास बांडे के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। दोनों डॉक्टर प्रबंधन से जुडे हैं। वहीं मामले में दो अन्य डॉक्टरों के नाम भी सामने आ रहे हैं जिसकी जांच की जा रही है।

एसपी के अनुसार 5 अगस्त 2019 को इंदौर आई हॉस्पिटल में 4 मरीजों की आंख का ऑपरेशन किया गया था, जिसमें से दो मरीजों की आंख की रोशनी चली गई थी। ओटी में संक्रमण के कारण यह हुआ था जिसका पता जिम्मेदार डॉक्टरों को भी था। बजाय ओटी को सील करने के 13 और 14 अगस्त को 14 अन्य मरीजों की आंख के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया जिसमें से 11 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई। संक्रमण का पता होने के बावजूद यह ऑपरेशन किए गए जो कार्य के प्रति गंभीर लापरवाही दर्शाता है। दोनों डॉक्टरों के खिलाफ आईपीसी की धारा 336, 337, 338 और 34 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। वहीं मामले में अन्य डॉक्टरों की भी जांच की जा रही है।

मामले में प्रशासन द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट में भी डॉक्टरों द्वारा लापरवाही की बात की गई थी। वहीं मध्यप्रदेश सरकार ने भी एक तीन सदस्यीय डॉक्टरों की कमेटी का गठन जांच के लिए किया है। प्रदेश सरकार द्वारा गठित कमेटी 30 अगस्त को अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी।

गौरतलब है कि एमओजी लाइन स्थित इंदौर आई हॉस्पिटल में 8 अगस्त को मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर के दौरान 14 में से 11 केस बिगडड़गए थे। 17 अगस्त को मामला सामने आने पर राज्य सरकार ने सभी मरीजों को धार रोड स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया था।
बाद में 5 अगस्त को ऑपरेशन किए गए कुछ और मरीज भी सामने आए थे जिनकी आंखों की रोशनी जा चुकी थी। 5 मरीजों को उपचार के लिए चेन्नई भेजा गया था। वहीं अन्य का उपचार इंदौर में ही किया जा रहा है। मामले में स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल का पंजीयन निरस्त कर दिया है। वहीं इंदौर आई हॉस्पिटल की जमीन व भवन में जिला अस्पताल प्रारंभ करने की कवायद भी की जा रही है।

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