जबलपुर। मध्यप्रदेश के विशेष न्यायाधीश लोकायुक्त जबलपुर ने रिश्वत के एक मामले में प्रदेश में पहली बार मात्र 2 माह 23 दिन में सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाने का रिकार्ड बनाया है। इसके अलावा संशोधित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 में लागू होने के बाद का यह जिले में पहला मामला है जिसमें सजा सुनाई गई है। न्यायालय ने आरोपी नगर निगम के नोटिस सर्वर को 4 साल की कैद और 3 हजार रुपए का अर्थदंड की सजा सुनाई है।
सरदार वल्लभभाई पटेल वार्ड निवासी दिलीप केवट ने 30 दिसम्बर 2017 को पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त जबलपुर को शिकायत की थी। शिकायत में बताया था कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान उन्हें हाऊबाग स्टेशन माल गोदाम के सामने से हटाकर विस्थापित बस्ती, सरदार वल्लभभाई पटेल वार्ड में बसाया गया था। यहां पर पिता नरबद प्रसाद के नाम प्लाट क्र 463 आवंटित किया गया, जिसका टैक्स 1180 रुपये उसके द्वारा नगर निगम में जमा किया गया।
इसके बाद वह टैक्स रसीद लेकर पट्टा की कार्रवाई के लिए नगर निगम कार्यालय गढा पहुंचा। यहां नगर निगम के नोटिस सर्वर आनंद राज अहिरवार ने उनसे 2 हजार रूपये रिश्वत की मांग की। आरोपी ने पैसा नहीं देने पर काम न करने की धमकी भी दी। बाद में मामला 1500 रुपए में तय हुआ। शिकायतकर्ता आरोपी को रिश्वत न देकर उसके खिलाफ कार्रवाई कराना चाहता था।
पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त जबलपुर के आदेश पर गठित दल द्वारा कार्रवाई करते हुये आरोपी को 2 जनवरी 2018 को उसके कार्यालय में 1500 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकडा गया। आरोपी ने शिकायतकर्ता से रिश्वत की राशि लेकर अपने शर्ट की जेब में रख लिया था जिसे बरामद किया गया।
लोकायुक्त संगठन की ओर से विशेष लोक अभियोजक प्रशांत शुक्ला ने बताया कि इससे पहले खंडवा के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में मात्र साढे 3 माह में सुनवाई पूरी कर सजा सुनाई थी। लेकिन इस मामले में वह रिकार्ड भी टूट गया है।

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