ग्वालियर। जिस व्यक्ति के मन में जैसे भाव होंगे उसके विचार भी वैसे ही प्रकट होते हैं। जो मन के भीतर चलता है वही बाहर दिखाई देता है। उसी प्रकार हम लोगों को जो देते हैं वही हमें मिलता है। इस संसार में केवल सुकून की तलाश में घूमने वाले को कभी सुख-शांति नहीं मिल पाती। जिसके भाग्य में जो लिखा है उससे ज्यादा उसे इस संसार में कुछ भी नहीं मिलने वाला है। यह विचार राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने सोमवार को नई सडक स्थित चंपाबाग धर्मशाला में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनिश्री ने कहा कि कोई चाहे कितना भी प्रयास कर ले, भाग्य के लेख को नहीं बदला जा सकता। इस दौरान परमात्मा को याद करते हुए अगर किसी की मौत आ जाए तो वह उसकी सद्गति का कारण बन जाती है। किसी दुखी को देखकर अगर मन में दया के भाव आए तो समझ लेना चाहिए कि वह जिन शासक का सच्चा उपासक है। इस भाव के चलते ही उसके कदम सम्यक दर्शन की ओर बढ़ रहे हैं। रास्ते में चलते समय जिसे सेवा की जरूरत है उसे सेवा देकर ही आगे बढ़े। इससे काम बिगड़ते नहीं बल्कि बिगड़े हुए काम भी बन जाते हैं।
जैन समाज प्रवक्ता सचिन आदर्श कलम ने बताया कि प्रवचनो से पूर्व मंगल चरण प्रतिष्ठाचार्य अजीत कुमार शास्त्री ने िंकया। मुनिश्री के चरणो मे जैन मिलन के अध्यक्ष संजीव अजमेरा, सचिव योगेश बोहरा विनय कासलीवाल, रतन अजमेरा, पंकज वाकलीवाल मिखिल गोधा, पदम ग्वालियरी, संजय गोधा एवं जैन समाज के लोगो ने श्रीफल चढ़ाकर आशिर्वाद लिया।

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