आर्थिक रूप से पिछड़े लेकिन स्किल्ड ड्राइवरों के लिए अब आठवीं पास होना भी जरूरी नहीं है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कॉमर्शियल वाहन चालकों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की शर्त को हटा दिया है. अब उन्हें लाइसेंस के लिए आठवीं पास होना भी जरूरी नहीं होगा. लेकिन इसमें सरकार ने सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ड्राइवरों को ट्रेनिंग देने की भी व्यवस्था की है.

समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के कुशल व्यक्तियों को फायदा पहुंचाने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने यह निर्णय लिया है. बता दें कि केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के रूल 8 के अंतर्गत ड्राइवरों को कक्षा 8 पास होना जरूरी है. उन्हें लाइसेंस के लिए भी कम से कम आठवीं की योग्यता की अर्हता पूरी करनी होती थी.

देश में विशेष रूप से गांवों में बड़ी संख्या में ऐसे बेरोजगार हैं जिनके पास डिग्रियां नहीं हैं. वे औपचारिक तौर पर शिक्ष‍ित न होते हुए भी साक्षर और कुशल हैं. मंत्रालय की इस पहल से उन्हें रोजगार के मौके मिलेंगे. परिवहन मंत्रालय में हाल ही में हुई बैठक का हवाला देते हुए कहा कि हरियाणा सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े मेवात क्षेत्र के ड्राइवरों के लिए शैक्षणिक योग्यता की शर्त हटाने का अनुरोध किया था. यह ऐसा इलाका है जहां कम आय वाली बड़ी आबादी की आजीविका ड्राइविंग पर निर्भर है.

यह फैसला ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में लगभग 22 लाख ड्राइवरों की कमी को पूरा करने में भी मदद करेगा. नये बदलाव के साथ मंत्रालय ने ड्राइवरों के प्रशिक्षण और स्किल को परखने पर जोर दिया है ताकि किसी भी तरह से सड़क सुरक्षा से समझौता न हो.

लाइसेंस लेने की एक पहली शर्त यह होगी कि ड्राइवर का साक्षर होना जरूरी होगा. परिवहन विभाग का स्कूल यह लिखकर देगा कि चालक संकेत पढ़ सकता है. सभी लॉजिस्ट‍िक को भी समझता है. बता दें कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने उपरोक्त के आलोक में केंद्रीय मोटर वाहन 1989 के नियम 8 में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की है और इस संबंध में मसौदा अधिसूचना जल्द ही जारी होगी.

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