ग्वालियर। मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले के गोहद के अनुविभागीय अधिकारी पुलिस (एसडीओपी) की ओर से पेश खात्मा रिपोर्ट भिण्ड जिला न्यायालय के मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी (सीजेएम) अजय पेंदाम ने कल खारिज कर दी। एसडीओपी ने रिपोर्ट में भिण्ड जिले के गोहद के सड गांव में 12 अगस्त 2018 को हुई हत्या के केस से सात आरोपियों को साक्ष्य नहीं पाते हुए निकाला था। कोर्ट ने रिपोर्ट खारिज कर सातों आरोपियों पर हत्या का केस चलाने का आदेश दिया है। साथ ही टिप्पणी कर कहा, जांच अधिकारी न्यायिक कार्य नहीं कर सकता है। आपको साक्ष्यों का विश्लेषण कर किसी को दोषमुक्त करने का अधिकार नहीं है। अतिरिक्त अभियोलक (एडीपीओ) इंद्रेश प्रधान ने आज यहां बताया कि न्यायालय ने चंबलरेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) को जांचकर्ता अधिकारी गोहद के तत्कालीन एसडीओपी उपेंद्र दीक्षित पर इस लापरवाही के लिए कार्रवाई करने को लिखा है।
भिण्ड जिले के गोहद के सड गांव में 12 अगस्त 2018 को कुल्हाडी से काटकर दरबार सिंह गुर्जर की हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने मृतक के भाई वीर सिंह गुर्जर की रिपोर्ट पर आरोपी सत्यनारायण, रामनिवास शर्मा, रामसेवक जाटव, उदय सिंह जाटव, रामसिया कुशवाह, शिवचरण, रामवरन के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया था। वीर सिंह ने बताया था वारदात सुरेंद्र गुर्जर, राघवेंद्र गुर्जर ने देखी थी। पुलिस ने 90 दिन पूरे होने पर 2 नवंबर 2018 को कोर्ट में सिर्फ सत्यनारायण ओझा के खिलाफ अभियोग पत्र पेश किया। बाकी आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य संकलन करने और अनुसंधान जारी रखना बताया गया था।
गोहद एसडीओपी की ओर से पेश खात्मा रिपोर्ट में बताया वारदात स्थल का नक्शा-मौका, आरोपियों के परिजन के बयान, मोबाइल नंबर की डिटेल और वारदात के बाद डायल 100 को किए गए कॉल के आधार पर आरोपी रामनिवास शर्मा, रामसेवक जाटव, उदय सिंह जाटव, रामसिया कुशवाह, मुरारी कुशवाह, शिवचरण ओझा, रामवरन ओझा निवासी सड के खिलाफ गिरफ्तारी और कोर्ट में अभियोजन चलाए जाने के साक्ष्य नहीं मिले। फरियादी और उसके वकील की ओर से प्रस्तुत आवेदन पत्र में दिए तथ्य बढा चढाकर सत्य से परे होकर असत्य होना पाए गए। डायल 100 को मिली सूचना में बताया गया था कि 2 लोगों के बीच झगडा हो रहा है। पीएम करने वाले डॉक्टर ने रिपोर्ट दी है कि वारदात में एक हथियार से वार किए गए और एक ही व्यक्ति ने वार किए हैं।
एसडीओपी की खात्मा रिपोर्ट खारिज कर सीजेएम कोर्ट ने कहा मृतक के शरीर पर नक्शा पंचनामा में 9 चोटें बताई गई थी। पीएम रिपोर्ट में 4 चोटों को बताया गया। यह चोटे एक से ज्यादा लोग भी पहुंचा सकते हैं। इसलिए चिकित्सक की रिपोर्ट अंतिम निष्कर्ष नहीं है। आरोपियों के परिजन उन्हें बचाने के लिए कथन दे सकते हैं। आरोपी रामसिया, शिवचरण, मुरारी, उदय सिंह ने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया था। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने अपराध में आरोपियों की प्रथम द्ष्टया संलिप्तता पाए जाने पर आवेदन निरस्त किया था। मोबाइल कॉल डिटेल से यह राय नहीं बनाई जा सकती कि आरोपी वारदात स्थल पर नहीं थे। मोबाइल वह व्यक्ति भी उपयोग कर सकता है, जो उसका मालिक नहीं है। कोर्ट ने संज्ञान लेकर इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 12 जून 2019 की तारीख तय की है।