ग्वालियर। सच्चे परिग्रही दूसरों की भलाई के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते है। धर्म का नहीं बल्कि अपने संस्कारों का परिवर्तन करने की जरूरत है। कोई भी धर्म गलत सीख नहीं देता है। भगवान महावीर ने शरीर को कष्ट देकर तपस्या करना नहीं सिखाया। महावीर ने धर्म व तप के अनेक मार्ग बताये हैं। आप जैसे चाहो वैसे धर्म-तप कर सकते हैं। यह विचार जैन मेडिटेशन विहसंत सागर मुनिराज ने बुधवार को थाठीपुर स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर गुलाबचंद की बागीची में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मंच पर मुनिश्री विश्वसूर्य सागर महाराज भी मौजूद थे।
मुनिश्री ने कहा कि आज कल मोबाइल फोन, टीवी तथा सोशल साइट्स के कारण परिवार बिखरते जा रहे हैं। सभी टीवी और सोशल मीडिया में व्यस्त हो गए है। मोबाइल से थोडा दूर रहकर यदि लोग कुछ देर के लिए धर्म की आराधना के साथ तपस्या करेंगे तो उनके मन में करूणा और प्रेम का भाव जाग उठेगा। मन की अशांति शांत होगी। परिवार का संतुलन सही रहेगा। परिवार में धर्म संस्कारो का रोपण रहेगा। मोबाइल और टी वी में कुछ नही रखा। धर्म को जितना जीवन में उतारोगे उतना ही जीवन सार्थक रहेगा। इस मौके पर मदिरं प्रबंध समिति के अघ्यक्ष रविन्द्र सिंघई, उपाध्यक्ष पियूष सिंघई, सचिव नरेन्द्र जैन, सह सचिव रविंद्र सिघई, कोषाध्यक्ष वज्रसेन जैन, उर्मिल जैन, साधना जैन ने मुनिश्री के चरणो मे श्रीफल चढाकर आर्शिवाद लिया।

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