मुरैना। असफलता आपके लक्ष्य में बाधा नहीं बन सकती। बस आपके अंदर लक्ष्य को पाने का हौसला होना चाहिए। ऐसी ही कहानी है मध्यप्रदेश के मुरैना जिले की जौरा तहसील के बिलगांव में जन्मे आईपीएस मनोज शर्मा की। आज वह मुंबई पुलिस में डिप्टी कमिश्नर हैं और उनकी गिनती महाराष्ट्र के ईमानदारों अफसरों में होती है।
9वीं, 10वीं में थर्ड डिवीजन से पास आईपीएस मनोज बारहवीं कक्षा में सभी विषयों में (हिंदी को छोडकर) फेल हो गए। गांव वालों के सामने बेइज्जती महसूस हुई। उन्हें ऐसा इसलिए लगा क्योंकि जब वे भैंस चराते समय उपन्यास पढते थे तो गांव के लोग सोचते थे कि बहुत मेहनत करता है। लेकिन फेल हुए तो गांव के लोग हैरान रह गए और दोस्त चिढ़ाने लगे।
मनोज निराश हो गए तो बचपन के दोस्त राकेश ने हौसला अफजाई की और कहा कि तुम्हे कुछ बनकर दिखाना है। फिर क्या था अगले ही साल 70 प्रतिशत अंकों से हायर सेकंडरी की परीक्षा पास की। कॉलेज में भी टॉपर्स रहे और वर्ष 2005 में आईपीएस में सिलेक्ट हुए। आज मनोज शर्मा न सिर्फ मुंबई में अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर के पद पर तैनात हैं बल्कि उनकी गिनती महाराष्ट्र के ईमानदार अफसरों में होती है। जल्द ही मनोज के संघर्ष की कहानी पर आधारित (ट्वेल्थ फेल) नामक उपन्यास का विमोचन होने वाला है।
मनोज के बचपन के दोस्त राकेश शर्मा बताते हैं कि मनोज ग्वालियर में 2 साल तैयारी करने के बाद यूपीएससी की कोचिंग करने दिल्ली गए। तीन चांस में सिलेक्शन नहीं हुआ। जब वह जौरा आते तो हम घंटों नहर किनारे बैठकर गपशप करते। इस दौरान गांव के ही कुछ अन्य दोस्तों ने यहां तक कह दिया कि मनोज पढते-पढते तुम्हारे चश्मा तो लग गया, अब तुम्हारा कुछ नहीं होने वाला। गांव लौट आओ। लेकिन मनोज ने सफल होने की जिद ठान रखी थी। आईपीएस में सिलेक्ट होकर उसने पूरे गांव का नाम रोशन किया।
जौरा तहसील के बिलगांव में ग्रामीण विकास अधिकारी के रूप में पदस्थ ओमप्रकाश शर्मा व शकुंतला शर्मा की दूसरी संतान मनोज शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा बिलगांव के सरकारी स्कूल में हुई। 9वीं, 10वीं की पढाई के लिए जौरा के सरकारी बालक हायर सेंकण्डरी स्कूल में दाखिला लिया। पढने-लिखने में कमजोर मनोज 9वीं में थर्ड डिवीजन में पास हुए, जबकि 10वीं में ग्रेस लेकर थर्ड डिवीजन आई।
आईपीएस मनोज, घर वाले चाहते थे कि मैं क्लर्क बन जाऊं इसलिए मैंने उनकी सलाह पर मैथ ले लिया। चूंकि उस समय नकल का कल्चर था और उम्मीद थी कि पास हो जाऊंगा। इसलिए 12वीं में गणित विषय लेकर पढाई शुरू कर दी। लेकिन फेल हो गया।
मनोज शर्मा ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि-जब चौथे चांस में प्री व मैन्स निकालने के बाद इंटरव्यू में सामने चयन समिति में बैठे अफसरों ने मेरा बायोडाटा देखा तो उनका पहला सवाल यही था कि यहां आईआईटी, आईआईएम क्वालिफाई कर चुके लोग आए हैं, उनके सामने हम आपको सिलेक्ट क्यों करें। मैंने बेबाकी से उनके सामने कह दिया कि 12वीं में फेल होने के बाद मैं यहां तक पहुंच गया तो मेरे अंदर कुछ तो क्वालिटी होगी। बस मेरे इसी सवाल से चयन समिति सदस्य खुश हुए। हालांकि कुछ अन्य सवाल भी मुझसे पूछे गए। इसके बाद वर्ष 2005 में मेरा सिलेक्शन महाराष्ट्र कैडर में आईपीएस के लिए हुआ।