देहरादून !   परिवार वाद के आरोपों से घिरी कांग्रेस को उसके उपाध्यक्ष राहुल गांधी के एक फरमान ने उत्तराखण्ड के आधा दर्जन मंत्री नेता पुत्रों के अरमानों पर पानी फेर दिया, जिसके चलते राय की कैबिनेट मंत्री श्रीमती इन्दिरा, जेएस कुजंवाल, महेन्द्र सिंह माहरा, मयूख महर सहित कई नेताओं के पुत्र (रक्त-सम्बन्धी) टिकट की प्रथम पंक्ति में होने के बावजूद किनारे लगा दिए गए।
राहुल के फरमान के बाद ही सत्ता का सुख भोग रहे नेताओं ने स्वंय अपने दावे वापस लेते हुए कदम वापस ले लिया, इन नेताओं ने इसके बाद भी राहुल के फॉर्मूले की काट ढूढ़ते हुए अपने रक्त सम्बंध को आगे करते हुए अपनी गणेश परिमा करने वाले अपने चमचों को उसके अवगुण को भुला कर टिकट का वितरण किया जिससे तमाम कोशिश के बावजूद पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को राहुल फॉर्मूले का लाभ नहीं मिला। सूबे के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने जिस तरह अपने नव सिखुआ पुत्र साकेत बहुगुणा को अपने संसदीय सीट पर उतारा और कांग्रेस को करारी हार का मुंह देखना पड़ा था, राय के ताकतवर मंत्री यशपाल आर्या ने अपने पुत्र संजीव की स्वंय सहकारीता विभाग में ताजपोशी की थी, यह सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा था उससे यही लगने लगा था कि कांग्रेस में निष्ठावान कार्यकर्ताओं के लिए कुछ बचने वाला ही नहीं है, जिसकी शिकायत आम कार्यकर्ताओं ने राहुल के उत्तराखण्ड़ आगमन पर करते हुए उनका ध्यान आकृष्ट किया था। उत्तराखण्ड में सम्पन्न होने जा रहे स्थानीय निकाय के चुनाव में भी कांग्रेस के दिग्गज अपने पुराने रवैया पर अपने रक्त संबन्धियों को पार्टी में प्रत्याशी बनाने का खेल खेल रहे थे, जिससे पार्टी के आम कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जा रहा था। इस प्रकरण को पुन: संज्ञान मिलते ही राहुल गांधी ने पार्टी के महासचिव प्रदेश प्रभारी चौधरी बिरेन्द्र सिंह को दून भेज कर अपना संदेश मीडिया के माध्यम से कांग्रेसियों को दिया। पर अपने खेल में माहिर कांग्रेस के दिग्गजों ने नया खेल खेलना शुरु कर दिया। सूबे के मुख्यमंत्री ने देहरादून, उत्तरकाशी, टिहरी में अपने चहेतों को प्रत्याशी बनाया, वही उनकी कैबिनेट में दुसरे नम्बर की दर्जाधारी इंदिरा हृदेश जब अपने पुत्र सुमित को प्रत्याशी नहीं बना सकी, तो उन्होंने भी अपनी परिमा करने वाले हेमंत बगड़वाल को प्रत्याशी बनवाया, मनमोहन सिंह की यूपीए-2 की सरकार में मंत्री हरीश रावत भी इस खेल में अपने भक्त को हरिद्वार के मेयर का प्रत्याशी संजय महन्त को प्रत्याशी बनाने में सफल रहे, इस खेल में पौड़ी के सांसद सतपाल महाराज भी चुके नहीं, उन्होंने भी पौड़ी, रूद्रप्रयाग, और चमोली में अपने भक्तों के माथे तिलक लगाने में नहीं चुके। इस बटवारे में गणेश-परिमा करने वाले चमचों के अवगुण को भी ध्यान में नही रखा एक नमूना यह रहा कि देहरादून में मेयर का प्रत्याशी उस व्यक्ति को बनाया गया जो समाजवादी पार्टी में रह कर राय आन्दोलनकारियों पर अग्नेयास्त्र से हमले का आरोपी रहा है। राय निर्माण के बाद तीसरी बार हो रहे देहरादून नगर महापालिका के मेयर के चुनाव में ‘किन्नर’ रजनी रावत के बसपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर मैदान में कूदने से पुरा चुनाव रोचक के साथ ही चौंकाने वाला परिणाम होने की ओर बढ़ रहा है। राय गठन के बाद दून की जागरूक जनता ने कांग्रेस की नेता मनोरमा शर्मा को अपना प्रथम मेयर चुना था। जनता की अपेक्षा पर कांग्रेस के खरा न उतरने के कारण दुसरी बार के सम्पन्न चुनाव में जनता ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विनोद चमोली को अपनी पहली पसंद बनाया। इस चुनाव में कांग्रेस तीसरे पायदान पर पहुंच गई, दुसरे स्थान पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैडम रजनी की उपस्थिति ने जनता के रूख का संकेत दे दिया। अपनी अंतरकलह से जूझ रही भाजपा ने पुन: विनोद चमोली पर दाव लगाया है, इस बार चमोली जनरल खण्डूडी के कंधे से उतर कर सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक ‘ के कंधे पर सवार होकर तमाम विरोधों के बावजूद पुन: प्रत्याशी बनने में कामयाब हुए है।

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