नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी सीट से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के न लड़ने के पीछे अलग-अलग वजह सामने आ रही हैं.खबरों के मुताबिक बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने प्रियंका गांधी वाड्रा को संयुक्त उम्मीदवार मानने इनकार कर दिया. लेकिन इन खबरों के बीच सीटों के अंकगणित पर ध्यान दें तो मामला कुछ और ही नजर आता है. उत्तर प्रदेश की जमीनी रिपोर्ट के मुताबिक सपा और बसपा के गठबंधन ने बीजेपी के लिए अच्छी खासी चुनौती खड़ी कर दी है. कई सीटें ऐसी हैं जहां पर दोनों पार्टियों का वोट बैंक बीजेपी से ज्यादा है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी की कोशिश है कि दोनों पार्टियों के इस जातिगत गठजोड़ को काटने के लिए पूरे चुनाव को मोदी बनाम अन्य बना दिया जाए. इसलिए हर रैली में बीजेपी के नेता यही बताने की कोशिश कर रहे हैं कि हर सीट पर पीएम मोदी ही चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन प्रियंका के आने और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस थोड़ा मजबूत होने से उत्तर प्रदेश की जंग त्रिकोणीय होती दिखाई दे रही है. इसका फायदा बीजेपी उठा सकती है.
वहीं बात करें वाराणसी की तो यहां से सटी उत्तर प्रदेश की 26 और बिहार की 6 सीटों पर इसका असर होता है. पीएम मोदी वाराणसी से लड़कर इन सीटों को प्रभावित करते हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इन कुल 32 सीटों में से 31 में सीट दर्ज की थी. लेकिन इस बार जातिगत समीकरणों से कई सीटों पर अंकगणित बीजेपी के लिए सिरदर्द बना हुआ है ऐसे में अगर प्रियंका गांधी यहां से चुनाव लड़तीं हो सकता था इन सीटों पर कांग्रेस और मजबूत हो जाती और त्रिकोणीय लड़ाई का फायदा बीजेपी निश्चित तौर पर उठाती. हालांकि इसमें कई सीटें ऐसी हैं जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी के दम पर अच्छा चुनाव लड़ती दिखाई दे रही है. आजमगढ़ और आसपास के इलाके में यादव समुदाय में अच्छी पैठ रखने वाले रमाकांत यादव कांग्रेस में शामिल हो गए हैं जिनको भदोही से टिकट दिया है.
फिलहाल कांग्रेस का वाराणसी सीट से प्रियंका को न उतारने की रणनीति कितनी सफल होगी यह तो नतीजा बताएगा लेकिन इतना जरूर है कि कांग्रेस अब राज्य में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है.