डॉ. गुलाब सिंह किरार जो कि पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े हुए थे और शिवराज सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा रखते थे, डॉ. किरार शिवराज सरकार में मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य भी थे और मुख्यमंत्री के काफी क़रीबी माने जाते थे| लेकिन व्यापम घोटाले में नाम आने के बाद उनकी शिवराज से दूरी बन गई और उनका रुख कांग्रेस की तरफ मुड़ गया|
डॉ. किरार पर व्यापमं घोटाले में फ़र्ज़ी तरीके से अपने बेटे शक्ति सिंह किरार को प्री-पीजी-2011 परीक्षा में 11वीं रैंक दिलाने का आरोप था जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था| एसआईटी ने डॉ किरार और उनके बेटे शक्ति प्रताप सिंह के ख़िलाफ़ 16 जुलाई 2014 को मामला दर्ज किया था| उनके नाम का खुलासा मामले के अन्य आरोपी और पीएमटी कांड के सरगना डॉ. दीपक यादव ने किया था| जिसके बाद ह्विसल ब्लोअर आरटीआई कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी की शिकायत पर ग्वालियर के झांसी रोड थाने में उन पर मामला दर्ज किया गया था| डॉ. किरार अखिल भारतीय किरार समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, किरार वोटरों को साधने के लिए कांग्रेस ने उन्हें स्टार प्रचारकों में शामिल किया है|
विधानसभा चुनाव से पहले किरार का नाम तब सुर्ख़ियों में था, जब राहुल गांधी की मौजूदगी में उनको कांग्रेस में लाया गया| व्यापमं के आरोपी गुलाबसिंह किरार के कांग्रेस में शामिल होने की जानकारी खुद मध्यप्रदेश कांग्रेस के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से दी गई थी। गुलाबसिंह किरार के कांग्रेस में शामिल होते ही भाजपा कांग्रेस पर हमलावर हो गई थी। वहीं इस पूरे मामले पर राहुल गांधी ने पार्टी के बड़े नेताओं को फटकार भी लगाई, जिसके बाद आनन-फानन में कांग्रेस ने किरार से पल्ला झाड़ लिया। चर्चा थी कि पार्टी उन्हें पोहरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाने की तैयारी में है, लेकिन विरोध के चलते उन्हें टिकट नहीं दिया गया| क्यूंकि व्यापमं को लेकर कांग्रेस शिवराज सरकार पर हमला बोलती रही है| ऐसे में चुनाव में उतारना कांग्रेस की किरकिरी कराता|