शिवपुरी। मध्यप्रदेश के भिण्ड के कांग्रेस नेता चौधरी राकेश सिंह राजा (पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह) के ट्वीट से नाराज होकर कांग्रेस छोडकर भाजपा का दामन थामने वाले राकेश चौधरी की छह साल बाद महाराज (कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया) ने कल 20 अप्रैल को घर वापसी करा दी। लोकसभा चुनाव के समय राकेश चौधरी के अचानक उठाए गए इस कदम से भाजपा को बडा झटका लगा है। ब्राह्मण चेहरा के आ जाने से ग्वालियर-चंबल संभाग में कांग्रेस खुद को अब मजबूती से पेश कर रही है।
11 जुलाई 2013 को विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह ने उस वक्त कांग्रेस पार्टी से नाता तोड लिया था जब कांग्रेस, भाजपा सरकार के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ रही थी। तभी मध्यप्रदेश विधानसभा के सदन में उन्होंने उपनेता प्रतिपक्ष होते हुए अविश्वास प्रस्ताव का ही विरोध कर दिया था। इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उन्हें भाजपा कार्यालय लेकर पहुंचे। जहां उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। इसके बाद चौधरी के छोटे भाई मुकेश चौधरी को भाजपा ने भिण्ड जिले के मेहगांव से टिकट दिया और वे विधायक बने। हाल ही में हुए 2018 के विस चुनाव में भाजपा ने उनके भाई मुकेश चौधरी का टिकट काटकर भिण्ड से राकेश चौधरी को उतारा। हालांकि वे चुनाव हार गए।
11 जुलाई 2013 को भाजपा प्रदेश कार्यालय के बाहर मीडिया से चर्चा करते हुए चौधरी ने कहा था… जिस प्रकार से कांग्रेस पार्टी अपने अविश्वास प्रस्ताव में कई जरूरी मुद्दों को छोड़ रही थी, उससे वह स्वयं को आहत महसूस कर रहे थे। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के ट्वीट बच्चा बच्चा राम का, राघवजी के काम का हवाला देते हुए कहा था कि इससे देश के 80 प्रतिशत हिंदुओं का अपमान हुआ है।
चौधरी राकेश सिंह के भाजपा छोडकर कांग्रेस में आने की काफी दिनों से अटकलें चल रहीं थी। लेकिन कांग्रेस के ही कुछ नेताओं की वजह से उनकी घर वापसी नहीं हो पा रही थी। वहीं विधानसभा चुनाव से पहले भी उनके कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएं तेज हुई थी। ऐसे में भाजपा ने उन्हें भिण्ड सीट से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनकी घर वापसी कराई, जिसे भाजपा को एक बडे झटके के रूप में देखा जा रहा है।
चौधरी राकेश सिंह ग्वालियर चंबल संभाग के बडे ब्राह्मण नेता हैं। उनके लोस चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल होने से भिण्ड-दतिया और मुरैना-श्योपुर सीट पर भी असर दिखाई देगा। वे दिग्विजय सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। साथ ही कांग्रेस के उपनेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। हालांकि भाजपा में पिछले कुछ सालों से वे हाशिए पर थे।
20 अप्रैल 2019 को शिवपुरी में सिंधिया की नामांकन रैली के बाद हुई सभा में चौधरी ने कहा.अपने जीवन की एक व्यथा बताना चाहता हूं। मेरा जीवन कांग्रेस में बीता, परिस्थितिजन्य मुझे कभी छोडकर जाना पडा। लेकिन मैं आभारी हूं कांग्रेस परिवार और सिंधिया का। जिन्होंने मेरे जीवन की नाव को पतवार दी। फिर किनारे से लगाने के लिए सहयोग दिया है।