मिजाजीलाल जैन
ग्वालियर| पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए आतंकी हमले के बाद देश भर में आक्रोश है| आतंकियों को पालने वाले पडोसी मुल्क पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए देश की आम जनता भी गुस्से में है और बदले की मांग उठ रही है| इस बीच कभी चंबल के बीहड़ों पर राज करने वाले पूर्व दस्यु सरगना मलखान सिंह ने पुलवामा आतंकी हमले से आहत होकर पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात कही है। बीहड़ों में कुख्यात रहे पूर्व डाकू मलखान सिंह ने कहा है कि वह अपने 700 साथियों के साथ पाक से जंग लड़ने को तैयार हैं।
उन्होंने ये ऐलान कानपुर में पुलवामा आतंकी हमले में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि के एक कार्यक्रम के वक्त किया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में 700 बागी (डाकू) बचे हैं, जिनके साथ वह सीमा पर मरने के लिए तैयार हैं। मलखान सरेंडर करने के बाद एक आम आदमी की तरह जिंदगी बिता रहे हैं। वो खेती कर अपना जीवन चला रहे हैं। जब मलखान ने हथियार उठा लिए तो इलाके में उनके नाम की दहशत थी| लेकिन बाद में उन्होंने सरेंडर कर दिया और अब वह कभी बैंक की लाइन में भी लगे दिखाई देते हैं जिन्हे देख लोग चौंक जाते हैं| वो एक राजनीतिक दल का भी सपोर्ट कर चुके हैं।
मीडिया से बात करते हुए मलखान ने कहा कि अगर सरकार हमें अनुमति दे तो हम बिना शर्त, बिना वेतन के अपने देश के लिए बॉर्डर पर मरने को तैयार हैं। हमसे लिखवा लिया जाए कि हम मारे जाएं तो कोई जुर्म नहीं। बचा हुआ जीवन हम लगाने को तैयार हैं। अगर इसमें पीछे हट जाए तो नाम मलखान सिंह नहीं है। हम चाहते हैं कि हमें बॉर्डर पर भेजा जाए। उन्होंने कहा मध्यप्रदेश में 700 बागी बचे हैं। अगर सरकार चाहे तो बिना शर्त, बिना वेतन हम बॉर्डर पर देश के लिए मर मिटने को तैयार हैं। उन्होंने कहा, 15 साल बीहड़ों में कथा नहीं बांची है। मां भवानी की कृपा रही, तो मलखान सिंह का कुछ नहीं बिगड़ेगा। हां, पाकिस्तान को जरूर धूल चटा दूंगा। उसको उसकी औकात दिखा दूंगा। गांव और जिले का बागी रहा हूं, देश का नहीं। उन्होंने कहा बागियों का रिकॉर्ड बहुत साफ़ सुथरा रहा है| मलखान सिंह ने कहा कि चुनाव होंगे और होते रहेंगे लेकिन पुलवामा हमले का बदला जरूर लेना चाहिए। अगर कश्मीर पर फैसला नहीं लिया गया तो कोई भी राजनीति पर विश्वास नहीं करेगा।
80 के दशक में चंबल और यमुना के बीहड़ों मलखान सिंह का आतंक था| सरपंच ने उन्हें गिरफ्तार करा दिया था और एक दोस्त की हत्या भी करा दी। इससे नाराज मलखान ने राइफल उठा ली और खुद को बागी घोषित कर दिया। हालांकि, बाद में 1983 में भिंड में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। मलखान सिंह पर डकैत रहने के दौरान 185 हत्याएं, 1,112 डकैती के अलावा दर्जनों छिटपुट मारपीट के मामले दर्ज किए गए थे। इस दौरान 32 पुलिसकर्मी की भी हत्या के मामले दर्ज हुए थे। मलखान डेढ़ दशक से अधिक ज्यादा समय तक चंबल घाटी में सक्रिय रहे, उनके गिरोह में समर्पण के वक्त 18 सदस्य थे। सजा काटने के बाद मलखान सिंह ग्वालियर में बस गए, और खेती करने लगे।
मलखान सिंह की बायो पिक ‘दद्दा मलखान सिंह’ भी बन चुकी है। अब मलखान सिंह राजनीति में सक्रिय रह कर खेती करते हैं। साल 2015 में बुरहानपुर के चांदनी रेलवे ट्रैक पर मालगाड़ी के पास से मलखान सिंह अपने ऊपर बन रही फिल्म की शूटिंग के दौरान भी नजर आए थे। इस दौरान उन्होंने रियल स्टंट किए। वहीं केंद्र सरकार के साल 2016 में नोटबंदी के फैसले के बाद बैंकों में काफी लंबी लाइनें लगी रही थीं। आम आदमी से लेकर वीआईपी तक सब लाइन खड़े नजर आए थे। इस दौरान इनामी डकैत रहे मलखान सिंह भी ग्वालियर के गए बैंक में अपने नोट बदलवाने के लिए लाइन में घंटों तक आम आदमी की तरह खड़े नजर आए थे।