मध्य प्रदेश में स्वाइन फ्लू के 47 पॉजिटिव मरीज मिले हैं। इनमें से 8 मरीजों की मौत हो चुकी है। खास बात यह है कि इनमें सबसे अधिक 26 पॉजिटिव मरीज राजधानी भोपाल में मिले हैं, जबकि 14 मरीज इंदौर में मिले हैं। यह स्थिति 1 जनवरी से शुक्रवार तक की है। प्रदेश में स्वाइन फ्लू के बढ़ते खतरे को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क है लेकिन रोकथाम के ठोस प्रयास नजर नहीं आ रहे हैं। इसका नतीजा है कि आठ मरीजों की मौत हो चुकी है।
प्रदेश भर में इस सीजन में अब तक स्वाइन फ्लू के 290 संदिग्ध मरीज सामने आ चुके हैं। इन मरीजों की जांच एम्स, हमीदिया, ग्वालियर और जबलपुर लैब में कराई गई थी। इनमें से 47 मरीज स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मिले हैं। इन मरीजों का इलाज चल रहा है। इनमें से कुछ मरीज स्वस्थ्य हो चुके हैं। बाकी के अभी भी जूझ रहे हैं। बता दें कि सर्दी बढ़ते ही एक दम से स्वाइन फ्लू का खतरा बढ़ा है। इसकी भनक स्वास्थ्य महकम को पहले से नहीं थी। हालांकि बचाव के प्रयास पहले से चल रहे हैं।
राजधानी भोपाल में बुधवार-गुरुवार की रात दो स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीजों की मौत हो गई थी। इनका इलाज हमीदिया अस्पताल में चल रहा था। वहीं शुक्रवार को तीन और पॉजिटिव मरीज मिले हैं। इनमें दो मरीज भोपाल के व एक मरीज अन्य जिले का है। बता दें कि भोपाल में स्वाइन फ्लू से चार मरीजों की मौत हो चुकी है। इसमें तीन भोपाल के व एक दूसरे जिले का है। बाकी के चार मरीज अन्य जिलों के हैं।
स्वाइन फ्लू की जांच के लिए इंदौर में वायरोलॉजी लैब नहीं है। इसके कारण सैंपलों को भोपाल भेजा जाता है। यहां हमीदिया व एम्स में जांच होती है। सैंपल लाने-ले जाने में वक्त लगता है। इसके कारण संदिग्ध मरीजों को जल्दी फायदा नहीं मिल पा रहा है। बता दें कि इंदौर मेडिकल कॉलेज में वॉयरोलॉजी लैब चालू होनी थी जो अब तक नहीं हुई है। वहीं भोपाल में हाल ही में लैब चालू हो गई है। जहां स्वाइन फ्लू की जांच होने लगी है।