इंदौर। पिछले पांच साल के मुकाबले इस बार इंदौर सहित प्रदेशभर के कई जिलों में ठंड का असर ज्यादा रहा है। सर्दी के इस सीजन में पिछले डेढ़ माह से प्रदेश के अधिकांश शहरों का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से कम रहा है। मौसम विभाग के वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस बदलाव के पीछे मुख्य वजह उत्तराखंड व हिमाचल क्षेत्र में लगातार हो रही बर्फबारी है। इस बर्फबारी की मुख्य वजह इस बार एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ की संख्या में इजाफा होना है।
पिछले वर्षों तक जहां एक माह में चार से पांच बार पश्चिमी विक्षोभ आता था, वहीं इस बार एक माह में आठ से दस बार आया है। यही वजह है कि पिछले चार पांच वर्षों के मुकाबले इस बार ठंड ज्यादा पड़ी है
सर्दी के मौसम में मावठा फसलों के लिए फायदेमंद माना जाता है। पिछले वर्षों में मालवा क्षेत्र में मावठे की स्थिति रहती थी। दक्षिणी राजस्थान के ऊपरी भाग में जब कभी चक्रवात बनता है तो मावठा गिरता है। इस बार इंदौर, उज्जैन और भोपाल संभाग को छोड़ पूरे प्रदेश में मावठा गिरा है। इससे स्पष्ट है कि इस बार मालवा में अब तक मावठे का इंतजार किया जा रहा है।
पश्चिमी विक्षोभ के दौरान राजस्थान में हवा के ऊपरी भाग में ‘इंडयूज” सिस्टम बनता है। इसके कारण ही मावठा गिरता है। इस बार यह सिस्टम कम बना है और उसका उतना असर नहीं रहा जितना होना चाहिए। यही वजह है कि मालवा में मावठा नहीं गिरा है।
पश्चिमी विक्षोभ हवा की तरंगें होती हैं जो दो हजार किलोमीटर से लेकर तीन हजार किलोमीटर लंबी होती है। ये लगभग 30 से 40 डिग्री उत्तरी अक्षांश में पश्चिम से पूर्व की ओर चलती है। इसलिए इसे पश्चिमी विक्षोभ कहा जाता है।
जब यह सिस्टम कहीं पर आता है तो उस क्षेत्र में 1.5 से 5.8 किलोमीटर ऊंचाई पर हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात या द्रोणिका बनती है। कभी-कभी जमीन की सतह पर भी पश्चिमी विक्षोभ का असर रहता है, लेकिन यह स्थिति बहुत कम ही निर्मित होती है। जमीन पर हवा के कम दबाव वाले क्षेत्र बनने से लो प्रेशर एरिया निर्मित होता है। इससे बादल बनते हैं, बारिश होती और गरज-चमक के साथ ओले पड़ते हैं। यह सिस्टम खत्म होता है तो तापमान में एकाएक ठंडक बढ़ जाती है। इसके कारण कोहरे की स्थिति भी निर्मित होती है।
गत डेढ़ माह से मप्र के अधिकांश शहरों का तापमान 10 डिग्री से भी कम रहा हैं। पिछले 4-5 वर्षों में तापमान लंबे समय तक इतना नीचे नहीं रहा है। पश्चिमी विक्षोभ इस बार एक माह में 8 से 10 बार आया है। इंडयूज सिस्टम से मालवा क्षेत्र में मावठा नहीं गिरा है।
– अजय शुक्ला, वरिष्ठ वैज्ञानिक मौसम केंद्र भोपाल
पिछले वर्षों के मुकाबले इस बार एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ आए। इससे प्रदेश में लगातार सर्दी रही। इस बार सभी संभागों में एक साथ शीतलहर व शीतल दिन रहे हैं। तीन दिन तक कोल्ड डे की स्थिति भी इस बार देखने को मिली है।
– उदय सरवटे, वरिष्ठ वैज्ञानिक मौसम केंद्र