भोपाल। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के समय 2008 में लागू की गई कर्ज माफी और राहत योजना में हुए घोटाले की राज्य में कांग्रेस सरकार जांच कराएगी। दस साल पुराने इस 108 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की फाइल खोलने के आदेश सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने प्रमुख सचिव को दे दिए। भारत के महालेखाकर परीक्षक (कैग) ने भी इस पर सवाल उठाए थे।

इस घोटाले में शिवराज सरकार ने सवा दो हजार कर्मचारियों को दोषी भी पाया था, लेकिन ज्यादातर को चेतावनी देकर छोड़ दिया था। ऐसे अफसरों को चिन्हित कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। इस घोटाले को लेकर कांग्रेस के दबाव में शिवराज सरकार ने वर्ष 2011 में विधानसभा में श्वेत पत्र भी पेश किया था।

कांग्रेस की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने 2008 में कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना लागू की थी। इसमें 50 हजार रुपए तक का कर्ज माफ किया था। प्रदेश के 38 जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और इतने ही जिला सहकारी कृषि व ग्रामीण विकास बैंक की साढ़े चार हजार से ज्यादा प्राथमिक सहकारी समितियों में योजना का क्रियान्वयन किया गया। 30 सितंबर 2008 तक नाबार्ड को दावे प्रस्तुत किए गए।

इसमें 11 लाख 86 हजार 709 किसानों के एक हजार 634 करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज माफी और राहत के प्रस्ताव दिए थे। आयुक्त सहकारिता कार्यालय ने इस आंकड़े की जांच कराई तो पहली दफा में ही किसानों की संख्या घटकर 11 लाख 84 हजार हो गई और राशि एक हजार 615 करोड़ रुपए रह गई।

विधानसभा में प्रतिपक्ष कांग्रेस दल की ओर से योजना के दुरुपयोग और अनियमितता की शिकायतें की गईं। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने राज्यपाल को घोटाले का प्रतिवेदन देते हुए जांच कराने की मांग उठाई। इसके मद्देनजर जांच कराई गई और नवंबर 2011 में श्वेत पत्र (रिपोर्ट) विधानसभा में पेश किया गया।

रिपोर्ट में माना गया कि पंजीयक सहकारी संस्थाएं की जांच में कर्ज माफी और ऋण राहत में 108 करोड़ 14 लाख 65 हजार रुपए से ज्यादा की अनियमितता पाई गई। इसमें होशंगाबाद बैंक से संबद्ध 18 समितियों की जांच में खुलासा हुआ कि हरदा जिले में दो हजार 11 सदस्यों के मामले में 13 करोड़ रुपए की अनियमितता की गई।

टिमरनी शाखा में आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मान्यताखेड़ी और पोखरनी में 34 फर्जी खाते बनाकर लाभ दिलाया गया। भिंड की समिति लहचुरा में 286 किसानों के कूटरचित खाते बनाए गए और ऋण माफी की गई। इसी तरह का फर्जीवाड़ा अन्य जिलों में भी हुआ। इसको लेकर दो हजार 252 कर्मचारियों को दोषी पाया गया पर महज 45 कर्मचारियों को सेवा से हटाया। दो कर्मचारियों का डिमोशन किया और 618 की वेतनवृद्धि रोकी गई।

77 कर्मचारियों को दोष मुक्त कर दिया तो 824 को चेतावनी देकर छोड़ दिया। 441 पर अर्थदंड लगाया। इसको विभागीय मंत्री ने अनुचित माना है और विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही यह भी कहा है कि भिंड, होशंगाबाद, हरदा, पन्ना और सागर में विस्तृत परीक्षण कर कार्रवाई करते हुए बताया जाए।

सहकारिता मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को चेताया है कि पुरानी कर्ज माफी योजना की राशि हितग्राहियों को 2011-12 में डेबिट की गई, जिसे अब माफ कराने का प्रयास किया जा रहा है। दरअसल, यह ऋण 31 मार्च 2007 के पहले लिया गया था और मौजूदा योजना 31 मार्च 2007 के बाद लिए कर्ज पर लागू है।

वहीं, फर्जी ऋण के मामले भी ग्वालियर के बाद अन्य जिला बैंक में सामने आ रहे हैं। इसकी जांच के बाद सहकारिता विभाग ने निर्देश दिए हैं। उधर, लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने आशंका जताई कि समितियों में बैठे लोग कर्जमाफी योजना को फेल करना चाहते हैं।

सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि किसानों के नाम पर जमकर खेल खेला गया। हमारे जिले में ही 18 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा हुआ था। दोषी लोगों को बचाने का काम हुआ। भ्रष्टाचार करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। कैग ने भी आपत्ति उठाई है। जांच के आदेश दिए हैं। इसमें दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

भिंड 157 समिति, सागर 156 समिति, होशंगबाद 140 समिति, खरगौन 124 समिति, मंदसौर 108 समिति, छतरपुर 102 समिति, जबलपुर 99 समिति, पन्न्ा 58 समिति, रीवा 80 समिति।

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