लोकसभा (Loksabha) के 60 फीसदी सांसदों को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी से भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेतृत्व की चिंताएं बढ़ गई हैं। पार्टी को अपने अंदरूनी तंत्र से विभिन्न स्तरों पर मिल रहे फीडबैक में यह स्थिति सामने आई है। इनमें से कुछ को तो बदला जा सकता है, लेकिन कई मंत्री व बड़े कद वाले नेता भी शामिल हैं, जिनके टिकट काट पाना संभव नहीं है।
दिल्ली में दो दिन पहले हुई पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में देश के हर लोकसभा क्षेत्र के चुनिंदा कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया था। सूत्रों के अनुसार, इस दौरान उनके क्षेत्रों के पार्टी सांसदों को लेकर भी उनकी राय जानने की कोशिश की गई। पार्टी ने लोकसभा क्षेत्र सोशल मीडिया प्रभारियों, मीडिया प्रभारियों, विभिन्न मोर्चों के प्रमुख कार्यकर्ताओं के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। इन बैठकों का एजेंडा तो चुनावी तैयारियों का था, लेकिन इनमें सांसदों को लेकर राय भी सामने आईं। बिहार और यूपी के कार्यकर्ताओं ने तो कुछ मंत्रियों के भी नाम लिए और कहा कि इनको अगर दोबारा टिकट दिया गया तो मुश्किल होगी।
उम्मीदवार बदलने पर विचार
संगठन से जुड़े एक प्रमुख नेता ने कहा कि कार्यकर्ताओं की अपेक्षाएं ज्यादा होती है और ऐसे में नाराजगी होती ही है। जिन क्षेत्रों से हर स्तर पर नकारात्मक रिपोर्ट मिल रही है, वहां पर उम्मीदवार बदलने पर विचार किया जाएगा। वैसे भी हर चुनाव में लगभग 20 फीसदी चेहरे बदले ही जाते हैं।
भारी पड़ी नाराजगी
सूत्रों के अनुसार कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक में कई प्रमुख नेताओं के खिलाफ माहौल होने से पार्टी सतर्क हो गई है। इसकी एक वजह हाल के विधानसभा चुनाव रहे हैं। जहां पर कई सीटों पर नकारात्मक माहौल होने के बाद भी टिकट नहीं काटे गए। इससे पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।