नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र और राज्य सरकारों से कहा कि यातायात नियमों के उल्लंघन, विशेषकर अतिविशिष्ट व्यक्तियों वाली लालबत्ती गाड़ियों के मामले में वाहन जब्त करने और जुर्माने की राशि दस हजार रुपए करने जैसे कठोर प्रावधान किए जाएं। न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों को यातायात नियमों में संशोधन के लिए जुलाई के दूसरे सप्ताह तक का वक्त दिया है। न्यायाधीशों ने स्पष्ट किया है कि यदि इस अवधि में उसने ऐसा नहीं किया, तो फिर न्यायालय आदेश पारित करेगा।
जुर्माने की परवाह किसी को नहीं
न्यायाधीशों ने कहा कि जुर्माने के बारे में कोई परवाह ही नहीं करता। इस देश में कोई भी कानून को गंभीरता से नहीं लेता जब तक कि कानून के उल्लंघन के मामले में कठोर उपाय न किए जाएं। इससे पहले, न्यायालय को सूचित किया गया कि मोटर वाहन कानून के उल्लंघन के अधिकांश मामलों में करीब सौ रुपए ही जुर्माना लगाया जाता है।
सीमित हो लालबत्ती का इस्तेमाल
न्यायाधीशों ने सरकारों से कहा कि अतिविशिट व्यक्तियों के वाहनों में लाल बत्ती के इस्तेमाल को सख्ती से सीमित किया जाए और यह सुविधा सिर्फ राजनीतिक सत्ता प्रमुखों, विधायिका, न्यायपालिका और सांविधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों को ही मुहैया कराई जाए। न्यायाधीशों ने कहा कि लाल बत्ती की गाड़ी अब फैशन और हैसियत का प्रतीक बनता जा रहा है। गाड़ियों पर लाल बत्ती के इस्तेमाल के लिए अधिकृत व्यक्तियों द्वारा इसका दुरुपयोग करने पर उन पर दस हजार रुपए जुर्माना किया जाए। न्यायाधीशों ने कहा कि दूसरे देशों में तो यातायात नियमों के उल्लंघन के मामले में वाहन जब्त करने के अलावा लाइसेंस भी रद्द किया जाता है।