भिण्ड। भिण्ड-दतिया संसदीय क्षेत्र से भाजपा से लंबे समय तक सांसद रहे डॉ रामलखन सिंह के बेटे संजीव सिंह कुशवाह ने इस बार बहुजन समाज पार्टी से चुनाव मैदान में उतरकर पहली बार भिंण्ड सीट पर अपनी पार्टी का खाता खोल दिया है। वर्ष 2013 के चुनाव में भी वे इसी पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे थे। लेकिन भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र सिंह कुशवाह से मात्र 5993 वोट से हार गए थे। तब भी उन्हें 45 हजार 177 वोट मिले थे। लेकिन संजू हारने के बाद भी अन्य प्रत्याशियों की तरह घर नहीं बैठे। बल्कि पूरे पांच साल पूरी सक्रियता से क्षेत्र में डटे रहे। इधर, कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद वर्ष 2013 में राकेश चौधरी ने खुद न चुनाव लड़ते हुए मेहगांव से अपने छोटे भाई मुकेश चौधरी को विधायक बनवाया था।
मध्यप्रदेश गठन के बाद से भिण्ड विधानसभा सीट पर अब तक 13 चुनाव हुए हैं, जिसमें सात बार कांग्रेस, चार बार भाजपा और एक-एक बार एसएसपी और जेएनपी विजयी रही। वहीं जातिगत रूप से देखा जाए तो छह बार क्षत्रिय और छह बार ब्राह्मण उम्मीदवार ही जीता। हालांकि एक बार गुजराती वैश्य वर्ग से नवीनचंद्र भूता भी विधायक चुने गए। इसकी वजह भी यह रही कि मुख्य दलों द्वारा हमेशा से इस सीट पर क्षत्रिय और ब्राह्मण वर्ग के प्रत्याशी आमने सामने उतारे जाते रहे। लेकिन इस बार परिस्थितियां दूसरी रही। भाजपा ने ब्राह्मण वर्ग से चौधरी राकेश सिंह को उतारा। ऐसे में मौजूदा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह पार्टी से बगावत कर सपा से मैदान में आ गए। जबकि पिछले चुनाव में भाजपा को कडी टक्कर देने वाले बसपा प्रत्याशी संजीव सिंह इस बार पहले से ही मैदान में थे। इधर कांग्रेस ने भी ब्राह्मण वर्ग से रमेश दुबे को मैदान में उतारा। क्षत्रिय और ब्राह्मण वर्ग बाहुल्य इस सीट पर जहां जाति फैक्टर चला। वहीं भाजपा प्रत्याशी चौधरी राकेश सिंह को पार्टी के भितरघात और बगावत करने वाले नरेंद्र सिंह के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा।
बसपा प्रत्याशी संजीव सिंह को जहां क्षेत्र में लगातार सक्रिय होने का फायदा तो मिला ही। साथ ही क्षेत्र की महिला मतदाताओं से राखी बंधवाकर उन्होंने घर के चौके (रसोई) में अपनी पकड मजबूत की। यही वजह रही कि 28 नवंबर को हुए मतदान में भिण्ड विधानसभा क्षेत्र में पुरुषों (58.23 प्रतिशत) की तुलना महिलाओं (58.98 प्रतिशत) ने ज्यादा मतदान किया। जिसके चलते संजीव सिंह को भी हर पोलिंग पर अपेक्षा से अधिक वोट मिले। बसपा के संजीव सिंह कुशवाह को 69107 वोट मिले जबकि भाजपा के चौधरी राकेश सिंह को 33211 तथा भाजपा से बगावत कर समाजवादी पार्टी से चुनाव लडे नरेन्द सिंह कुशवाह को 30474 बोट मिले। संजीव सिंह 26896 मतों से विजयी रहे। कांग्रेस के रमेश दुबे 8297 मत पाकर अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए।
भिण्ड जिले की सबसे बडी विधानसभा सीट मेहगांव हर बार अप्रत्याशित परिणाम देने के लिए जानी जाती है। लेकिन इस बार इस सीट ने कांग्रेस प्रत्याशी ओपीएस भदौरिया को जिताकर फिर चौंका दिया। पिछले चुनाव में इसी सीट पर मात्र 1273 मतों से ओपीएस भदौरिया हार गए थे। लेकिन इस बार मेहगांव की जनता पूरी ताकत से उन्हें आशीर्वाद दिया। इसके पीछे की वजह उनके सरल और सहज स्वभाव को जहां जनता पसंद किया। वहीं पिछले चुनाव में बहुत कम मतों के अंतर से हारने उनके प्रति लोगों की हमदर्दी पैदा हुई। परिणामस्वरूप क्षत्रिय मतदाता एकजुट होकर उनका साथ दिया।
मेहगांव विधानसभा सीट पर क्षत्रिय, ब्राह्मण, गुर्जर और लोधी मतदाताओं का बाहुल्य है। वर्तमान में इस सीट से ब्राह्मण वर्ग से भाजपा के चौधरी मुकेश सिंह विधायक थे। लेकिन इस बार पार्टी ने उनका टिकट काटकर उनसे पहले विधायक रहे ब्राह्मण वर्ग के राकेश शुक्ला को मौका दिया। लेकिन वे कुछ ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाए। जबकि पिछले चुनाव में भाजपा के चौधरी मुकेश सिंह से बहुत कम मतो से हारे कांग्रेस के ओपीएस भदौरिया को पार्टी ने फिर से मौका दिया। वहीं उनके क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहने की वजह से लोगों में उनके प्रति हमदर्दी पैदा हो गई। इसके पीछे मुख्य वजह उनका सरल और सहज स्वभाव भी रहा। इधर क्षत्रिय वर्ग से होने के नाते इस बार उनका समाज भी उनके लिए पूरी तरह से एकजुट हो गया। वहीं एट्रोसिटी एक्ट का इस विधानसभा पर भी असर रहा। कांग्रेस के ओपीएस भदौरिया को 60213 मत मिले। भाजपा के राकेश शुक्ला को 35452 मत मिले। ओपीएस भदौरिया 34761 वोट से जीत दर्ज की है।

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