वोटों की गिनती का काम तो शुरू हो चुका है. रुझान आने लगे हैं लेकिन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं है. इन दो राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों में से किसी की भी जीत हो सकती है. इस बीच कांग्रेस के रणनीतिकारों ने सरकार बनाने के विकल्पों को लेकर अभी से चर्चा शुरू कर दी है.
सबसे पहले बात मध्य प्रदेश की यहां पर अगर कांग्रेस बहुमत पाती है, तो कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने की संभावना सबसे ज्यादा है. गौरतलब है कि चुनाव से ठीक पहके राहुल गांधी ने कमलनाथ को प्रदेश का अध्यक्ष बनाया था और मुख्यमंत्री पद के दूसरे दावेदार ज्योतिरादित्य सिंधिया को कैंपेन कमिटी का अध्यक्ष. कमलनाथ अरसे से मध्य प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष बनना चाहते थे, ताकि मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में स्वाभाविक तौर पर उन्हीं का चेहरा जनता के सामने जाए और इसमें वह सफल भी हुए.
अब सवाल यह उठता है कि बहुमत के बाद कमलनाथ को क्यों मिलेगी सीएम की कुर्सी? पार्टी सूत्रों का दावा है कि कमलनाथ ने न सिर्फ प्रदेश में बीजेपी से कड़ी टक्कर लेने के लिए पार्टी को संसाधन मुहैया कराए बल्कि हर सीट पर खासतौर से उन सीटों पर जहां कांग्रेस जीत सकती है वहां पर पार्टी के उम्मीदवारों को आर्थिक रूप से मदद भी की. यही नहीं कमलनाथ ने पार्टी के स्टार प्रचारकों के लिए धुआंधार प्रचार के सभी साधन मुहैया कराए. चाहे वह हवाई जहाज हो हेलिकॉप्टर हो या फिर गाड़ियां. कमलनाथ का मैनेजमेंट पार्टी के बहुत काम आया.
कमलनाथ पार्टी आलाकमान से कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री बनने की यह उनका आखिरी चुनाव है लिहाजा अगर कांग्रेस बहुमत में आती है तो उनका पलड़ा भारी नजर आ रहा है. बात अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया की करें तो उनके पास अभी समय है वह युवा है और पार्टी नेतृत्व का कहना है कि राहुल गांधी की टीम में होने की वजह से उनको केंद्रीय भूमिका मिल सकती है. कमलनाथ के पक्ष में ज्योतिरादित्य सिंधिया को मनाने का एक तरीका यह भी हो सकता है. साथ ही साथ कमलनाथ के पक्ष में दिग्विजय सिंह और प्रदेश के अन्य नेताओं का समर्थन भी ज्योतिरादित्य के खिलाफ गया है. लब्बो लुबाब ये कि बहुमत मिला तो कमलनाथ का मुख्यमंत्री बनना तय है.
अब राजस्थान की बात करते हैं राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के दो दावेदारों के बीच कांटे की टक्कर है. अशोक गहलोत के पास अनुभव है वह पहले भी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकिन सचिन पायलट राहुल गांधी की युवा टीम के सदस्य माने जाते हैं. आजकल अशोक गहलोत भी राहुल गांधी के खास हैं लिहाजा यहां पर कौन बनेगा मुख्यमंत्री की पहेली हल करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व को नाकों चने चबाना पड़ेगा.
सूत्रों का दावा है कि अगर कांग्रेस को अपार बहुमत मिला यानी 140-150 के आसपास सीटें मिली तब राहुल गांधी सचिन पायलट के युवा नेतृत्व को मुख्यमंत्री के रूप में मौका दे सकते हैं. वहीं, अशोक गहलोत को जो पहले से ही केंद्रीय भूमिका में संगठन महासचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर तैनात हैं उन्हें 2019 के लिए गठबंधन बनाने और सरकार आने की दशा में महत्वपूर्ण मंत्रालय देने की बात कह कर मना सकते हैं.
अगर राजस्थान में पार्टी को बहुमत के आंकड़े से थोड़ा ही ज्यादा सीटें मिली यानी 110 से 115 सीट मिली तो अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. गहलोत संतुलन बना करके और विधायकों को साध करके पार्टी की सरकार बचाए रख सकते हैं.