अंडमान और निकोबार द्वीप पर अमेरिकी पर्यटक जॉन ऐलन चाऊ की हत्या के बाद पुलिस अभी तक उनकी लाश आदिवासियों से बरामद नहीं कर सकी है। पुलिस अधिकारियों की टीमें इसके लिए विमानों से वहां की रेकी में जुटी हैं। हालांकि, पुलिस ने दो मामले दर्ज किए हैं, जिसमें पहला चश्मदीद मछुआरे की मदद से किया गया है और दूसरा द्वीप पर घुसने में सहायता करने वाले संदिग्धों के खिलाफ हुआ है। सूत्रों के हवाले से कुछ रिपोर्ट्स में आदिवासियों द्वारा अमेरिकी नागरिक की लाश गाड़ने की आशंका जाहिर की गई।
अंडमान-निकोबार के डीजीपी दीपेंद्र पाठक ने मीडिया से कहा, “चेन्नई में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास से चाऊ के बारे में 19 नवंबर को हमें पता लगा था। हमने फौरन उनके लापता होने की रिपोर्ट लिखी थी और जांच-पड़ताल शुरू कर दी थी। मामले में सात लोग गिरफ्तार भी किए जा चुके हैं। चाऊ की इन्हीं ने सेंटीनेल द्वीप ले जाने में मदद की थी।”
उधर, 83 वर्षीय मानव विज्ञानी टी.एन.पंडित ने सुझाव देते हुए बताया कि नारियल, स्थानीय मछुआरों की मदद और थोड़ी सी सावाधानी के जरिए चाऊ की लाश हासिल की जा सकती है। बता दें कि पंडित ने साल 1966 से 1991 के बीच भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण के अभियानों के सिलसिले में वहां के कई द्वीपों के दौरे किए थे। दावा है कि वह उस द्वीप पर जाने वाले और वहां के लोगों से बात करने वाले पहले मानव विज्ञानी हैं।
उनके मुताबिक, “अगर दोपहर या शाम में कोई आदिवासियों से मिलने के लिए नारियल तोहफे में लेकर जाए और उनकी शूटिंग रेंज (जहां से वे द्वीप पर जबरन घुसने वालों पर तीर बरसा कर हमला करते हैं) के आगे रुके, तो हो सकता है कि वे (आदिवासी) लाश देने को राजी हो जाएं। इस दौरान स्थानीय मछुआरों की मदद भी ली जा सकती है।”