भोपाल। नगर निगम का खजाना इन दिनों खाली हो चुका है। तंगहाली का आलम ये है कि निगम के खाते में महज 8 लाख रुपए ही बचे हैं। यह राशि हर महीने बिजली बिल, फोन बिल, डीजल का खर्च सहित अति आवश्यक सेवाओं के लिए भी पर्याप्त नहीं है। यही वजह है कि नगर निगम ने आचार संहिता के बहाने 200 से अधिक ठेकेदारों के बिलों के भुगतान रोक दिए हैं। कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए निगम अब हर महीने मिलने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति पर निर्भर है। एक महीने यदि चुंगी की रकम नहीं मिली तो कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ जाएंगे।
निगम के सूत्रों के अनुसार 175 करोड़ के बांड जारी करने में नगर निगम ने बैंक में करीब 28 करोड़ रुपए जमा किए हैं, जिससे निगम का बैलेंस खाली हो गया है। यही नहीं हर महीने करीब 3 करोड़ रुपए बतौर ब्याज 10 सालों तक जमा करना होगा। निगम अधिकारियों का कहना है कि दूसरे माध्यमों से रकम की व्यवस्था की जाएगी।
सिर्फ अमृत योजना के कामों के हो पाएंगे भुगतान
अमृत योजना के तहत केंद्र और राज्य से मिली राशि में निगम को अंशदान मिलाने के लिए बांड जारी करने पर 110 करोड़ मिल रहे हैं। ऐसे में अमृत योजना के कामों के ही बिलों का भुगतान हो पाएगा। बताया जा रहा है कि नरेला विधानसभा के नाले-नालियों व डामरीकरण के कामों के 4 बिल, गोविंदपुरा के नाले का एक और हुजूर विधानसभा का सीसी रोड का एक बिल यानी 6 फाइलों के जीआर काटे गए हैं, जिनके भुगतान की तैयारी है। वहीं, चुनाव से पहले नेताओं और अफसरों ने दबाव डालकर ठेकेदारों से काम चालू कराया था। वर्तमान में शहर में करीब 500 काम चल रहे हैं, लेकिन भुगतान नहीं होने से काम अटक सकते हैं। पिछले दिनों नगर निगम कांट्रेक्टर एसोसिएशन भुगतान की मांग कर चुका है।
आमदनी और खर्चे का गणित
निगम अपनी आमदनी से अधिक खर्च करता है। वित्तीय गड़बड़ियों की वजह से निगम का खजाना खाली हो गया है। हर महीने निगम की करीब 30 करोड़ रुपए की आय होती है। इसमें हर महीने वेतन में 25 करोड़, बिजली के 3 करोड़, फोन के 50 लाख और वाहनों में डीजल के लिए 1.50 करोड़ खर्च हो जाते हैं। इसके अलावा अन्य खर्च मिलाकर आमदनी से अधिक खर्च हो जाता है। इसके बाद ठेकेदारों के भुगतान के लिए निगम के पास राशि ही नहीं बचती।
फिक्स डिपॉजिट भी नहीं
यदि कोई आपदा आ जाए तो निगम को ही शहर में सबसे पहले सारे प्रबंध करने होते हैं। इसके लिए निगम के पास हमेशा 30 से 40 करोड़ रुपए होना चाहिए। निगम के पास चार साल पहले तक 130 करोड़ रुपए का फिक्स डिपॉजिट था पर अब कुछ भी नहीं बचा।