विद्यार्थियों की सुविधा पर खर्च हो रहे 40 करोड़ रुपए बचाने के लिए विश्वविद्यालय अपना ऑटोमेशन सिस्टम विकसित करने में जुट गया है। ऑनलाइन सिस्टम के लिए सॉफ्टवेयर बनवाया जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसके लिए टेंडर जारी कर दिए हैं। अधिकारियों के मुताबिक सॉफ्टवेयर पर डेढ़ करोड़ खर्च होंगे।
परीक्षा फॉर्म, रोल नंबर, फीस, चालान और रिजल्ट समेत अन्य सेवाओं के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन अभी एमपी ऑनलाइन की मदद ले रहा है। प्रत्येक विद्यार्थी पर 180 रुपए खर्च आ रहा है। इस लिहाज से ढाई लाख विद्यार्थियों को दी जा रही इन सेवाओं के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन हर साल लगभग 40 करोड़ रुपए एमपी ऑनलाइन को दे रहा है। इसे बचाने के लिए ही विश्वविद्यालय अब खुद का ऑनलाइन सिस्टम बनाने पर जोर दे रहा है।
ऑटोमेशन प्रोजेक्ट के तहत वित्तीय प्रबंधन, रिजल्ट, फैकल्टी-स्टाफ की डिटेल और पुराने रिकॉर्ड को डिजिटलाइजेशन करने के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया जाएगा। दो महीने में सॉफ्टवेयर बनाने का काम पूरा हो जाएगा।
वेबसाइट पर होगी लिंक
परीक्षा, रिजल्ट, रोल नंबर के लिए एमपी ऑनलाइन से अनुबंध है। खुद का सॉफ्टवेयर बनने के बाद विश्वविद्यालय इन सेवाओं का संचालन खुद कर सकेगा। इनकी लिंक विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर रहेगी। इसके लिए विद्यार्थियों को कोई पोर्टल शुल्क नहीं देना पड़ेगा। यहां तक कि फीस भी सीधे डेबिट-क्रेडिट कार्ड से वसूली जाएगी।
विद्यार्थी-फैकल्टी की होगी जानकारी
सॉफ्टवेयर में अलग-अलग डेटा स्टोर किया जा सकेगा। विश्वविद्यालय के प्रत्येक विभाग के विद्यार्थी-फैकल्टी और स्टाफ की छोटी से छोटी जानकारी क्लाउड सॉफ्टवेयर में सुरक्षित रखी जाएगी। साथ ही पिछले दस सालों का परीक्षा-रिजल्ट और शैक्षणिक-प्रशासनिक कार्यों से जुड़े दस्तावेजों को डिजिटल फॉर्म में किया जाएगा। इन्हें भी क्लाउड सॉफ्टवेयर में स्टोर करेंगे जिसे कभी भी इनका इस्तेमाल किया जा सकेगा।
20 दिन में खोले जाएंगे टेंडर
ऑटोमेशन प्रोजेक्ट के तहत सॉफ्टवेयर बनाने के लिए बुलाए गए टेंडर 20 दिन में खोले जाएंगे। चूंकि आचार संहिता लग गई है, इसलिए प्रक्रिया नवंबर बाद शुरू करेंगे। कंपनी की फाइनेंशियल के बाद टेक्निकल बिड खोली जाएगी। पूरा काम कमेटी को सौंप रखा है।
-डॉ. निरंजन श्रीवास्तव, प्रभारी, ऑटोमेशन प्रोजेक्ट