मध्य प्रदेश में बीएसपी के साथ छोड़ने से कांग्रेस के रणनीतिकारों को झटका लगा है। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व मायावती को आखिरी वक्त तक मनाने में जुटा था और मध्य प्रदेश की यूनिट को भी इस बाबत राजी करने में जुटा था। सूत्रों को मुताबिक मध्य प्रदेश की पार्टी यूनिट बीएसपी को बहुत ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं थी, लेकिन नेतृत्व के कहने पर बातचीत की गई थी। विधानसभा चुनावों में गठबंधन को लेकर पार्टी नेतृत्व ने स्टेट यूनिट को निर्देश दिए थे कि बीएसपी से गठबंधन को लेकर चर्चा तेज की जाए। मगर कुछ निष्कर्ष निकल पाता, मायावती ने उससे पहले ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ कर दिया कि वह कांग्रेस से गठबंधन करने नहीं जा रही हैं और इस तरह कांग्रेस की सारी कोशिशों पर पानी फिर गया।
सूत्रों के मुताबिक, मायावती के साथ गठबंधन की ऐसी जल्दबाजी थी कि राहुल गांधी ने खुद मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को बुधवार दोपहर फोन कर गठबंधन के लिए आखिरी कोशिश करने के लिए कहा था। इसके बाद कमलनाथ और बीएसपी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के बीच बुधवार शाम को बातचीत भी हुई। कांग्रेस ने अपने डेटा ऐनालिटिक्स डिपार्टमेंट चीफ प्रवीन चक्रवर्ती को उन 30 सीटों की लिस्ट बनाने के लिए भी बोल दिया, जिन पर बीएसपी अपने उम्मीदवार उतारना चाहती थी।
हालांकि कांग्रेस की सभी कोशिशों को तब झटका लगा जब मायावती ने 22 कैंडिडेट्स के नामों की घोषणा कर दी। माया के इस कदम से ही साफ हो गया था कि अब प्रदेश में गठबंधन की कोई उम्मीद नहीं है। बुधवार को मायावती ने तब कांग्रेस सकते में डाल दिया जब उन्होंने बाकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर कांग्रेस के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली। माया ने साफ कर दिया कि मध्य प्रदेश में वह कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं करेंगी।
सूत्रों की मानें तो बीएसपी के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस लीडरशिप और राज्य नेतृत्व के बीच कम्युनिकेशन गैप देखने को मिला। जहां टॉप लीडरशिप का मानना था कि मध्य प्रदेश में गठबंधन की घोषणा से 2019 में महागठबंधन की राह पक्की हो जाएगी, वहीं राज्य नेतृत्व इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता था। सूत्रों के मुताबिक, बीएसपी ने गठबंधन के लिए 50 सीटों पर अपनी नजर जमाए हुए थी। हालांकि फाइनल लिस्ट में 30 सीटों की डिमांड थी, मगर इनमें भी कई ऐसी सीटें थीं जहां 2013 के चुनाव में बीएसपी को महज कुछ वोट ही मिले थे। बता दें कि बुधवार को मायावती ने साफ शब्दों में ऐलान कर दिया था कि एमपी और राजस्थान में कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा। बीएसपी सुप्रीमो ने कांग्रेस पर उनकी पार्टी को खत्म करने की साजिश का भी आरोप लगाया था।
मायावती ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह बयान के संदर्भ बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। मायावती ने दिग्विजय सिंह को संघ का एजेंट बताते हुए कहा कि सोनिया और राहुल गांधी के ईमानदार प्रयासों के बावजूद उनके जैसे कुछ नेता नहीं चाहते कि कांग्रेस-बीएसपी गठबंधन हो। मायावती ने दिग्विजय के बयान के बहाने पूरी कांग्रेस पार्टी की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए। आपको बता दें कि दिग्विजय सिंह ने अपने बयान में कहा था कि मायावती सीबीआई के डर से गठबंधन में शामिल नहीं हो रही हैं।