भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए अभी भले ही दोनों प्रमुख दलों के उम्मीदवारों का एलान नहीं हुआ हो, लेकिन बाजार में सभी दलों की प्रचार सामग्रियां सज गईं हैं।
उत्तरप्रदेश के बड़े कारोबारियों ने राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के कई शहरों में झंडे-बैनर, गमछा, टोपी, साड़ी, बैनर-पोस्टरों और विज्ञापन के गुब्बारे आदि की दुकानें सजा ली हैं। इस बार कर्नाटक-तमिलनाडू के बड़े कारोबारी चुनाव प्रचार के लिए महंगी लग्जरी गाड़ियों को आकर्षक प्रचार रथ की शक्ल देकर लाए हैं।
भाजपा, कांग्रेस और बसपा मुख्यालय के आसपास भी ऐसे व्यापारियों के मौसमी काउंटर देखे जा सकते हैं। प्रदेश की सड़कों पर दौड़ने वाली लग्जरी 7 सीटर गाड़ियों को देश के प्रमुख कार डिजाइनरों की मदद चुनाव के लिए उपयोगी बनाया गया है।
गणतंत्र दिवस परेड में उपयोग होने वाली सेना की खुली गाड़ी जैसे दिखने वाले इस प्रचार रथ में उम्मीदवार के साथ 5-7 लोगों के बैठने और रोड शो के दौरान सुविधाजनक ढंग से खड़े रहने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा गांव, चौराहों पर नुक्कड़ सभा के लिए गाड़ी का उपयोग रेडिमेड मंच की तरह करने अत्याधुनिक साउंड सिस्टम भी लगाया गया है। इन विशेष चुनावी रथों को भाजपा, बसपा और कांग्रेस के प्रमुख नेताओं, उनके झंडे के रंगों से सुसज्जित किया गया है।
भाजपा के लिए शुभ
भाजपा संगठन ने चुनाव प्रचार के लिए वर्ष 2008 में ही पुणे के प्रसिद्ध कार डिजाइनर से बड़ी लग्जरी बस को सर्वसुविधायुक्त रथ के रूप में बनवाया था। भाजपा इस रथ को अपने लिए शुभ भी मानती है। इसके बाद 2013 और इस बार के चुनाव में भी यह रथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जनआशीर्वाद यात्राओं में घूम रहा है।
लखनऊ से आते हैं कारोबारी
अहमदाबाद, मथुरा और लखनऊ के कारखानों से यह सामग्री प्रदेश में आती है। हर चुनाव में लखनऊ से आकर भोपाल में प्रचार सामग्री का व्यापक स्तर पर कारोबार करने वाले हरि प्रकाश मिश्रा कहते हैं कि इस बार प्रचार सामग्री का ट्रेंड बदले रूप में है।
राजनेताओं और पार्टियों ने सोशल मीडिया पर आक्रामक प्रचार के लिए एक्सपर्ट्स की टीम लगा दी है। मप्र में दो दलीय व्यवस्था के चलते मुख्य व्यापार भाजपा-कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही केन्द्रित रहता है। चुनाव आयोग की सख्ती के चलते कारोबार में कमी भी आई है। विंध्य, बुंदेलखंड, मालवा और महाकोशल अंचल के कई जिलों में 1983 से उनकी प्रचार सामग्री जा रही है।
प्रचार में बढ़ी नई तकनीक
चुनाव दर चुनाव प्रचार अभियान और उसकी तकनीक में बदलाव आ रहा है। अत्याधुनिक संसाधनों का प्रयोग बढ़ रहा है। यह समय की मांग भी है, इससे मतदाताओं से संपर्क करने में प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों की दक्षता भी बढ़ी है। भाजपा संगठन भी चुनाव प्रचार में नई तकनीक व तौर-तरीकों का भरपूर उपयोग कर रहा है।