भोपाल | मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दिसंबर, 84 में हुए गैस हादसे के पीड़ितों ने राजनीतिक रणनीति का एलान कर दिया है। गैस पीड़ितों के संगठनों ने यूनियन कार्बाइड गैस हादसे के पीड़ितों को मुआवजा, दोषी कंपनियों को सजा और चिकित्सीय व सामाजिक पुनर्वास की मांगों को पूरा कराने के लिए राजनीतिक दलों से समर्थन मांगा है। गैस पीड़ितों के बीच काम कर रहे पांच संगठनों गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ, भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशन भोगी संघर्ष मोर्चा, भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा, भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन व डॉव केमिकल के विरुद्ध बच्चे के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि उन्होंने राजनीतिक रणनीति के तहत 12 राजनीतिक दलों को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में पीड़ितों की आठ बातों का जिक्र किया है।
गैस पीड़ितों के संगठनों के इस पत्र में राजनीतिक दलों से पूछा गया है कि गैस कांड के लिए अतिरिक्त मुआवजा, गैस कांड की वजह से हुई मौतों और बीमारियों का आंकड़ा सुधारना, प्रदूषित भूजल से जहर की सफाई, जहरीले प्रदूषण की वजह से हुई शारीरिक क्षति एवं जन्मजात विकृतियों के लिए मुआवजा, पुनर्वास के लिए अधिकृत आयोग का गठन और यूनियन कार्बाइड को अदालत में हाजिर करवाने के लिए डाव केमिकल के व्यापार पर प्रतिबंध के मसले पर उनकी क्या राय है। संगठनों ने बताया की उन्होंने राजनीतिक दलों से यह भी पूछा है कि अगर वह गैस पीड़ितों के संगठनों की मांगों का समर्थन करते हैं तो वह प्रदेश एवं केन्द्र की सरकारों द्वारा इन मांगों को मनवाने के लिए कौन से कदम उठाएंगे। भोपाल पीड़ितों के संगठनों ने बताया कि प्रदेश में आने वाले चुनाव के संबंध में वे अपनी रणनीति राजनीतिक दलों के द्वारा दिए गए उत्तर के आधार पर एक माह के अंदर तय करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर कोई भी पार्टी गैस पीड़ितों की मांगों का समर्थन नहीं करती है या एक माह के अंदर जवाब नहीं भेजती है तो वे गैस पीड़ित क्षेत्र के मतदाताओं को नकारात्मक वोटिंग का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। संगठनों ने बताया कि वर्तमान में दिसंबर, 84 के हादसे से प्रभावित इलाकों के मतदाताओं को इस बारे में जागरूक कर रहे हंै कि वे चुनाव के सिलसिले में आ रहे उम्मीदवारों व उनकी पार्टी के द्वारा गैस पीड़ितों के इन्साफ और बेहतरी के लिए उठाए गए कदमों के बारे में सवाल करें। संगठनों ने गैस कांड के पीड़ितों से अपील की है कि वे चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवारों को चुनने की ताकत का समझदारी से इस्तेमाल करें ताकि गैस कांड के लंबित मुद्दों का समाधान उनके हक में हो। गैस पीड़ितों के संगठनों का दावा है कि पांच लाख पीड़ितों समेत 10 लाख मतदाता हैं और भोपाल के तीन विधानसभा क्षेत्र के नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।