भोपाल । मप्र खुले में शौच मुक्त प्रदेश बन गया है। यानी 100 फीसदी ओडीएफ। दरअसल, स्वच्छाग्रहियों की मदद से 62 लाख 78 हजार 514 घरों में शौचालय बन गए हैं। ये ऐसे घर थे, जिनमें रहने वाले सदस्य शौच के लिए खुले में जाते थे। वजह थी घर में शौचालय का नहीं होना। ऐसे 55 लाख 78 हजार 514 घरों में सरकार की मदद से शौचालय बनाए गए हैं।

वहीं 7 लाख घरों में रहने वाले लोगों ने स्वेच्छा से शौचालय बनवाए हैं। लेकिन, हकीकत यह है कि शौचालय बनाने मात्र से प्रदेश खुले में शौच से मुक्त प्रदेश नहीं कहलाएगा। बल्कि, इसके लिए 2 अक्टूबर महत्मा गांधी की जयंती पर सरकार, स्वच्छाग्रही, समाज और सामाजिक संगठनों को संकल्प लेना होगा कि खुले में शौच जाने वालों में जागरुकता लानी होगी।

ये हैं स्वच्छाग्रही

स्वच्छता के लिए आमजन को प्रेरित करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता, पंच, सरपंच, सचिव, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता व खुद घरों में शौचालय बनवाने वाले लोग।

कलेक्टर करेंगे सम्मानित

महात्मा गांधी की जयंती पर 2 अक्टूबर को जिला मुख्यालयों पर कलेक्टर इन स्वच्छाग्रहियों को मुख्यमंत्री स्वच्छता सम्मान से सम्मानित करेंगे।

अब समाज, संगठन का दायित्व

शौचालय बनाने का मतलब यह नहीं कि पूरी तरह लोगों ने खुले में शौच जाना छोड़ दिया। अभी भी कुछ जिलों के ग्रामीण अंचलों में खुले में शौच जाना बंद नहीं हुआ। ऐसे लोगों में जागरुकता लाने समाज व संगठनों को आगे आकर काम करने की जरूरत है।

सरकार ने दी 12 हजार रुपए की मदद

55 लाख 78 हजार 514 घरों में शौचालय बनाने पर सरकार ने प्रति शौचालय 12 हजार रुपए की मदद दी है।

पहली बार होगा सत्यापन

जिन घरों में शौचालय बनाए हैं, उन घरों में रहने वाले लोग शौचालय का उपयोग कर रहे हैं या नहीं। शौचालय उपयोग लायक है या नहीं, इन बातों को लेकर पहली बार सत्यापन शुरू होगा। यह सत्यापन अधिकारी, कर्मचारी करेंगे, जो 90 दिन में पूरा होगा। इसकी शुरुआत इसी महीने से होगी।

बेस लाइन सर्वे था आधार

सरकार ने 2013 में बेस लाइन सर्वे कराया था। इसमें पता चला कि 62 लाख 78 हजार 514 घरों में शौचालय नहीं है। ऐसे घरों में शौचालय बनवाए गए।

समाज, संगठनों का योगदान जरूरी

लक्षित घरों में शौचालय बनाने का काम तय समय 2 अक्टूबर 2019 से एक साल पहले पूरा किया है। फिर भी यह दावा नहीं कर सकते कि लोग खुल में शौच नहीं जा रहे हैं। ऐसे लोगों में जागरुकता लाने समाज व संगठनों से मदद ले रहे हैं।

– अजीत तिवारी, उपायुक्त स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) मप्र

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