नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना लांच की. मगर पांच राज्यों ने इस योजना को लागू करने से इन्कार कर दिया है. इनमें दिल्ली, केरल, ओडिशा, पंजाब और तेलंगाना शामिल हैं. इन राज्यों ने कहा है कि वह तब तक योजना में शामिल नहीं होंगे, जब तक उन्हें इससे बेहतर स्वास्थ्य बीमा योजना नहीं मिलतीं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो इस योजना को एक और सफेद हाथी करार दिया है. उधर जब ओडिशा सरकार की ओर से योजना ठुकरा देने की खबर मिली तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवीन पटनायक सरकार पर हमला बोला. कहा कि हर कोई आयुष्मान भारत योजना का महत्व जानता है, मगर नवीन बाबू शायद यह नहीं समझते. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक इस योजना को नजरअंदाज कर ओडिशा की जनता को स्वास्थ्य बीमा योजना के लाभ से दूर कर रहे हैं.
शाह ने बोला केजरीवाल पर हमला
दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार ने भी आयुष्मान भारत योजना को लागू करने से मना कर दिया है. इस पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आड़े हाथों लिया. अमित शाह ने रविवार को कहा कि आयुष्मान भारत योजना से बाहर रहने का दिल्ली की आप सरकार का फैसला संकीर्ण मानसिकता को दिखाता है.उन्होंने कहा कि दिल्ली में भाजपा के कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को योजना से बाहर रहने के आप सरकार के फैसले के बारे में बताएंगे. शाह ने ट्वीट किया, ‘‘दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा मात्र अपने राजनीतिक स्वार्थ और द्वेष के कारण प्रदेश की जनता को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना – आयुष्मान भारत’ के लाभ से वंचित रखना बहुत ही दु:खद और निंदनीय है. आम आदमी पार्टी की संकीर्ण सोच की वजह से दिल्ली की गरीब जनता को इस योजना का लाभ नहीं मिल पायेगा. आप को अपनी इस हीन राजनीति के लिए जनता को जवाब देना होगा.’’
जानिए क्या है आयुष्मान भारत योजना
इस महत्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य प्रत्येक परिवार को सालाना पांच लाख रुपये की कवरेज दिया जाएगा. इससे 10.74 करोड़ गरीब परिवार लाभान्वित होंगे. इन परिवारों के लोग द्वितीयक और तृतीयक श्रेणी के तहत पैनल के अस्पतालों में जरूरत के हिसाब से भर्ती हो सकते हैं. वैसे इस योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान कर दिया गया है. यह योजना लाभार्थियों को नकदी रहित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराएगी. इससे अस्पताल में भर्ती होने पर आने वाले खर्च में कमी आएगी जो लोगों को और निर्धन बना देता है.
इससे भयंकर स्वास्थ्य समस्याओं के दौरान उत्पन्न वित्तीय जोखिम कम होगा. पात्र लोग सरकारी और सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं.इस योजना के दायरे में गरीब, वंचित ग्रामीण परिवार और शहरी श्रमिकों की पेशेवर श्रेणियां आएंगी. नवीनतम सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना (एसईसीसी) के हिसाब से गांवों में ऐसे 8.03 करोड़ और शहरों में 2.33 परिवार हैं. योजना का लाभ करीब 50 करोड़ लोगों को मिलेगा.
एसईसीसी के डाटाबेस में वंचना के आधार पर पात्रता तय की जा रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में वंचना की श्रेणियों (डी1,डी2,डी3,डी4,डी5, डी6 और डी7) के आधार पर लाभार्थियों की पहचान की गयी है. शहरी क्षेत्रों में 11 पेशवेर मापदंड पात्रता तय करेंगे. इसके अलावा जिन राज्यों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना है, उसके लाभार्थी भी इस नयी योजना के अंतर्गत आएंगे. इस योजना से 27 राज्य जुड़े हैं. दिल्ली, तेलंगाना और ओडिशा ने इस योजना से जुड़ने के लिये मना कर दिया है.
योजना से 15000 अस्पताल जोड़े जाएंगे. अभी तक 13 हजार अस्पताल जोड़े गए हैं. माना जा रहा है कि भारत जैसे देश में जहां महंगी होती मेडिकल सेवाएं के बीच आम आदमी को गरीब बना रही हैं, यह योजना मोदी सरकार के लिये गेम चेंजर साबित हो सकती है.