बीजिंगः विश्व में प्रभत्व की इच्छा रखने और पाकिस्तान, नेपाल व श्रीलंका जैसे देशों को कर्ज के जाल में फंसाने वाले देश चीन की अपनी आर्थिक हालत पतली हो चुकी है। यानि दूसरों के लिए खाई खोदने वाला चीन अब खुद कर्ज के कुएं में धंसता जा रहा है। जानकारी के अनुसार चीन का बढ़ता कर्ज अब 2,580 अरब डॉलर के आंकड़े तक पहुंच गया है जिससे राष्ट्रपति शी जिनपिंग परेशान हैं।

देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार मंद होने के संदर्भ में इसे बड़ी चिंता के तौर पर देखा जा रहा है। देश की शीर्ष विधायिका ने तय किया है कि स्थानीय सरकार के कर्ज की अधिकतम सीमा 21,000 अरब युआन होनी चाहिए। चीन की सरकारी समाज एजेंसी सिन्हुआ की एक खबर में वित्त मंत्रालय के हवाले से कहा गया है कि चीन का स्थानीय सरकारी कर्ज अगस्त के आखिर में 17,660 अरब युआन (2,580 अरब डॉलर) रहा, जो आधिकारिक सीमा के नीचे ही है। स्थानीय सरकारी कर्जे में हो रही वृद्धि से अर्थशास्त्री और नियामक काफी चिंतित हैं।

हालांकि देश के पिछले साल का कुल सरकारी कर्ज जीडीपी का 36.2 प्रतिशत था, जो सबसे आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं के स्तर से कम है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग वित्तीय खतरे को कम करने के लिए स्थानीय सरकार पर कर्ज के स्तर में कमी लाने के लिए दबाव बना रहे हैं लेकिन उनमें से कई अपनी आदतों की वजह से अब तक इससे नहीं उबर पाए हैं। विश्व की दूसरी सबसे बड़ी चीन की अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ने को लेकर चिंता प्रकट की जा रही है।

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