भोपाल। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व संगठन प्रभारी महामंत्री चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी के लिए शताब्दी का सफर सजा बन गया। वे ट्रेन के टॉयलेट में ऐसे फंसे की डेढ़ घंटे की भारी मशक्कत के बाद ही बाहर निकल सके। टॉयलेट गए कांग्रेस नेता दरवाजे की चटकनी जाम होने से उसमें ही फंस गए। पहले तो उन्होंने कुछ देर दरवाजा खटखटाया जब किसी ने नहीं सुना तो उन्होंने अपने बेटे को फोन लगाया। बेटे ने रेलवे के हेल्पलाइन नंबरों पर फोन लगाए उसके बाद चंद्रिका प्रसाद को टॉयलेट का दरवाजा तोड़कर बाहर निकाला गया। पहले भी शताब्दी के कोच में काकरोच मिलने और छत से पानी रिसने की शिकायतें सामने आ चुकी हैं।

चटकनी खोलने पहले खुद जूझते रहे, बाद में रेलकर्मियों ने तोड़ा

शताब्दी एक्सप्रेस भोपाल स्टेशन से सोमवार दोपहर 3.22 बजे चली थी। इसके कोच सी-4 की बर्थ 33 पर चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी सफर कर रहे थे। ट्रेन विदिशा पहुंचने वाली थी, तभी वे टॉयलेट गए। उन्होंने अंदर से गेट की चटकनी लगा ली, जब बाहर निकलने चटकनी खोलनी चाही तो नहीं खुली। वे कुछ समय तक चटकनी खोलने की कोशिश करते रहे फिर गेट खटखटाया, लेकिन किसी ने नहीं सुना। परेशान होकर उन्होंने 4.20 बजे बेटे नीरज द्विवेदी को फोन किया। नीरज ने पहले रेलवे के 138 नंबर पर फोन किया, किसी ने रिसीव नहीं किया तो दूसरे टोल फ्री नंबर

1512 पर संपर्क किया और घटना की जानकारी दी।

30 मिनट बाद शाम 4.50 बजे ललितपुर जीआरपी से संपर्क हुआ। जीआरपी ने ट्रेन में चल रही तकनीकी टीम को कोच में भेजा। रेलवे के दो कर्मचारियों ने शाम 5 बजे हथोड़ी लेकर गेट खोलना शुरू किया। वे एक घंटे की मशक्कत के बाद गेट की चटकनी तोड़कर गेट खोलने में सफल हुए। तब जाकर चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी शाम 5.55 बजे बाहर निकले।

आपबीती: घुटन हो रही थी, बच्चा होता तो मर जाता, शुक्र है जान तो बची

जब चटकनी नहीं खुली और बाहर से भी मदद नहीं मिली तो घुटन होने लगी थी। परेशान हो गया था। रह-रहकर गेट खोलने के लिए मदद मांगता रहा। किसी ने भी आवाज नहीं सुनी। रेलवे के ऐसे सिस्टम पर तरस आता है। कोई बच्चा इस तरह अंदर रहता तो मर जाता। शुक्र है मेरी जान बच गई। (जैसा कि चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी ने

नवदुनिया को चर्चा में बताया)

मुझसे पूछते रहे ट्रेन की लोकेशन

शुरू में 138 नंबर पर चार पर फोन किया। किसी ने कॉल रिसीव नहीं किया। 4.55 बजे ललितपुर जीआरपी से संपर्क हुआ। तब ट्रेन की लोकेशन भी वे मुझसे ही पूछते रहे। खैर मेरे पिता सकुशल बाहर निकल गए – नीरज द्विवेदी, चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी के पुत्र

जांच कराई जाएगी

यात्री जिस कोच के टॉयलेट में फंसा था, उसका मेंटेनेंस कब हुआ था जांच करेंगे। शताब्दी में जल्द ही यात्रियों को आधुनिक कोच मिलेंगे। रेलवे ने इस पर काम शुरू कर दिया है – नितिन चौधरी, सीपीआरओ नार्दन

रेलवे, नई दिल्ली

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