जम्मू कश्मीर पुलिस ने पथराव के पीछे के असली गुनाहगारों को गिरफ्तार करने के लिए ऐतिहासिक जामा मस्जिद क्षेत्र में पत्थरबाजों के बीच अपने लोगों को भेजने की नयी रणनीति शुक्रवार को अपनायी। जुमे की नमाज के बाद भीड़ ने पुलिस और सीआरपीएफ कर्मियों पर पथराव करना शुरु कर दिया लेकिन दूसरी ओर से कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की गयी। कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने न तो आंसूगैस के गोले दागे और न ही लाठीचार्ज किया। जब 100 से ज्यादा लोग हो गये और दो पुराने पत्थरबार भीड़ की अगुवाई करने लगे तब लोगों को तितर बितर करने के लिए पहला आंसू गैस का गोला दागा गया। इस बीच, भीड़ में छिपे पुलिसर्किमयों ने इस प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले दो पत्थरबाजों को पकड़ लिया और वे उन्हें वहां खड़े वाहन तक ले ले गये। उन दोनों को जब थाने ले जाया गया, तब इन पुलिसर्किमयों ने लोगों को डराने के लिए हाथ में खिलौने वाली बंदूक ले रखी थी। इन सब चीजों से न केवल अगुवाई करने वाले पत्थबरबाज बल्कि उनका साथ दे रहे अन्य लोग भी भौंचक्के रह गये और उन्होंने जल्द ही अपना प्रदर्शन खत्म कर लिया। उन्हें पुलिस की रणनीति का भान ही नहीं था। वर्ष 2010 में भी यही रणनीति अपनायी गयी थी।

बता दें कि जम्मू कश्मीर पुलिस के नये महानिदेशक दिलबाग सिंह ने शुक्रवार (7 सितंबर, 2018) को कार्यभार संभाल लिया। उनके पूर्ववर्ती एस पी वैद का गुरूवार की रात तबादला कर दिया गया। वैद को परिवहन आयुक्त बनाया गया है। सिंह 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। राज्य के पुलिस प्रमुख की जिम्मेदारी संभालने के तत्काल बाद सिंह ने कहा कि अभी उनकी प्राथमिकता निर्दोष आम लोगों के हितों की रक्षा करते हुए आतंकवाद से सख्ती से निबटना है। उन्होंने कहा कि वह आतंक-विरोधी अभियान के अग्रिम मोर्च पर रह रहे पुलिसर्किमयों के कल्याण के लिए भी काम करेंगे। आईपीएस अधिकारी सिंह ने सादे समारोह में नये पुलिस प्रमुख का पद संभाला।

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