नई दिल्ली। जैन मुनि और राष्ट्र संत तरुण सागर जी महाराज 51 साल नहीं रहे। उनका समाधिमरण आज दिल्ली में हुआ। वे कुछ समय से बीमार थे। उनकी अंतिम संस्कार विधि आज दोपहर तीन बजे दिल्ली से 28 किमी दूर तरुणसागरम में होगी।
तरुण सागर जी को कुछ दिन पहले पीलिया हो गया था। इसके बाद उन्हें यहां मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। स्वास्थ्य सुधरता ना देख उन्होंने इलाज कराना बंद कर दिया था और चातुर्मास स्थल पर जाने का निर्णय लिया था। इसके बाद अपने गुरु पुष्पदंत सागर महाराज की स्वीकृति के बाद संलेखना आहार.जल न लेने का फैसला किया। मुनिश्री के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, जनसंपर्क मंत्री नरोतम मिश्रा ने दुख जताया है।
विधानसभाओं में दिए थे प्रवचन रू दिल्ली जैन समाज के कार्यकर्ता रमेश चंद्र जैन ने बताया, ‘‘मुनिश्री अपने कडवे प्रवचनों के लिए प्रसिद्ध रहे। इसी वजह से उन्हें क्रांतिकारी संत भी कहा जाता था। वहीं, कडवे प्रवचन नामक उनकी पुस्तक काफी प्रचलित है। समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करने में उन्होंने काफी प्रयास किए।’’ मुनिश्री मध्यप्रदेश और हरियाणा विधानसभा में प्रवचन भी दे चुके थे। हरियाणा विधानसभा में उनके प्रवचन पर काफी विवाद हुआ था, जिसके बाद संगीतकार विशाल ददलानी की टिप्पणी पर बवाल हुआ था। तब विशाल को माफी मांगनी पडी थी। मुनिश्री को मध्यप्रदेश सरकार ने 6 फरवरी 2002 को राजकीय अतिथि का दर्जा दिया था। तरुण सागर जी महाराज का मूल नाम पवन कुमार जैन था। उनका जन्म दमोह (मध्यप्रदेश) के गांव गुहजी में 26 जून, 1967 को हुआ। मुनिश्री ने 8 मार्च 1981 को घर छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ में दीक्षा ली।

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