जबलपुर। शहर के मुस्कान किरार ने जकार्ता में चल रहे एशियन गेम्स में तीरंदाजी प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीतकर दुनिया में अपना नाम रोशन कर लिया। मुस्कान के तीरंदाजी प्रतियोगिता के फाइनल में पहुंचने के बाद से ही उनके परिवार में उत्साह का माहौल था और अब सिल्वर जीतने के बाद तो उनके पिता को बधाईयों के फोन आने लगे हैं।

कक्षा 12वीं की छात्रा मुस्कान का संबंध मध्यमवर्गीय परिवार से है। सराफा वार्ड निवासी पिता वीरेन्द्र छोटी सी दुकान चलाते हैं। लेकिन बेटियों को कभी खेलने से नहीं रोका। बच्चों को भी मां माला का भरपूर सहयोग मिला। मुस्कान की छोटी बहन सलोनी (13 वर्ष) भी तीरंदाज है और अकादमी में ही अपनी दीदी के साथ अभ्यास करतीं हैं। जबकि भाई वासु कराते खिलाड़ी है।

2016 में पहली बार धनुष-बाण पकड़ा था मुस्कान ने

18 साल की मुस्कान ने 2016 में जबलपुर स्थित रानीताल तीरंदाजी अकादमी ज्वॉइन की थी। तब वे महज 2 घंटे तीरंदाजी एरिना में पसीना बहाया करतीं थीं। लेकिन अकादमी के मुख्य कोच रिचपाल सिंह सलारिया ने तभी मुस्कान की प्रतिभा को पहचानते हुए नियमित अभ्यास में ध्यान देने की सलाह देते हुए 4 घंटे अभ्यास कराने लगे। मेहनत रंग लाई और एक साल बाद पहले राष्ट्रीय चैंपियनशिप में मुस्कान ने स्वर्ण जीता फिर विश्व कप का टिकट कटाते हुए रजत पदक देश के लिए जीता।

एशियन गेम्स के लिए 6 घंटे तीर से निशाना साधतीं थीं

राष्ट्रीय टीम में चुने जाने के बाद प्रदर्शन में निरंतरता ने उन्हें एशियन गेम्स के लिए भारतीय टीम में जगह दिलाई। जकार्ता एशियन गेम्स के लिए उन्होंने करीब 6 घंटे तीरंदाजी एरिना में पसीना बहाया। पहले जबलपुर फिर सोनीपत में कोच की निगरानी में कड़ा अभ्यास किया। इस तरह मुस्कान ने भारतीय महिला कंपाउंड टीम के बेस्ट तीन खिलाड़ियों में जगह बनाई।

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