सतना: देश में बेटियों की स्थिति कैसी है हम सभी भलीभांति से अवगत हैं. समाज के हर वर्ग में बेटियां उपेक्षा का शिकार हैं. कई कोख में मार दिया जाता है तो कभी जन्म के बाद उन्हें लावारिस छोड़ दिया जाता है. हमारा समाज ये बात भूल जाता है कि अगर किसी एक बेटी को शिक्षित किया जाये तो वो बेटों से कहीं बढ़कर कुछ कर दिखाएगी. सतना में रहने वालीं 50 वर्षीय सोनिया जौली इस बात को सही साबित कर रही हैं.
सतना में रहने वालीं 50 वर्षीय सोनिया जौली वैसे तो एक गृहिणी हैं, लेकिन लोग उन्हें उनके अनूठे काम के कारण 45 बच्चों की मां कहते हैं. सोनिया जौली 45 बेटियों को शिक्षित करने का नेक कार्य करने के अलावा उनके भोजन और स्वास्थ्य का भी ख्याल भी रखती हैं. इतना ही नहीं सबसे बड़ी बात यह है कि वो खर्च होने वाले पैसे के लिए सरकार या उद्योगपतियों से सहायता नहीं ले रही हैं.
बेटियों से हर दिन हो रहे अत्याचार की खबरें सोनिया रोज पढ़ती थीं इन ख़बरों में गरीब घर में पैदा हुई बेटियां ही ज्यादा शिकार बनती थीं. उन बच्चियों के परिवार वाले भी बोझ समझते थे. इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए सोनिया के मन में ख्याल आया कि क्यों न गरीब घर में पैदा हुई बेटियों की आर्थिक मदद करने से अच्छा उन्हें शिक्षित किया जाये ताकि वो भी खुद आत्मनिर्भर बन सकें.
सोनिया जौली खुद 2 बच्चों की मां हैं. हर दिन अख़बार में गरीब परिवार की बेटियों के बारे में पढ़ती थी. इसी कारण उनके मन में विचार आया कि गरीब और अनाथ बेटियों को भी तो पढ़ने का समान अधिकार है. उन्हें भी आगे बढ़ने का बराबर मौका मिलना चाहिए. इसी संकल्प से वे एक दिन नजदीकी सरकार स्कूल में पहुंच गईं. उस स्कुल में अभावग्रस्त बेटियों की स्थिति देखकर सोनिया जौली का मन विचलित हो उठा. ये घटना 2014 की है. उन बेटियों से बात करके सोनिया ने उनके शिक्षकों से बात की और उन्होंने स्कूल के 6 गरीब बेटियों को गोद लिया. उनकी शिक्षा का पूरा खर्च उठाना शुरू किया. इसके बाद ये सिलसिला शुरू हो गया और अब बेटियों की संख्या 45 हो गई. अब सोनिया जौली ने उपकार नाम से एनजीओ भी बना लिया है.
कक्षा 10 में पढ़ने वाली शिखा हो या कक्षा 9 में पढ़ने वाली खुशी या और फिर यहां पर आने वाली 45 बच्चियां ये सभी बेहद गरीब घर की हैं. इनका पढ़ना तो दूर इनकी परवरिश में कठिनाईयां थीं लेकिन इन्हें उपकार संस्था द्वारा गोद लिए जाने के बाद इनकी रोजमर्रा की समस्याओं से मुक्ति मिल गयी. सोनिया जौली के दिमाग में कुछ अलग करने का विचार आया तो उन्होंने बच्चियों की परवरिश की जिम्मेदारी उठाने की सोची. इनकी लगन और मेहनत देख इनके आस पड़ोस में रहने वालों ने भी इनकी अप्रत्यक्ष रूप से मदद करने लगे.