भोपाल। राज्य शासन ने राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 में संशोधन कर सूखा, ओला, पाला, बाढ़ आदि नैसर्गिक विपत्तियों से होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिये किसानों को फसल हानि के मामलों में दी जाने वाली सहायता राशि में पुनः वृद्धि की है। संशोधित दरें 3 फरवरी, 2013 से प्रभावशील मानी जायेंगी। राजस्व मंत्री श्री करण सिंह वर्मा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2002 के मुकाबले कई मामलों में सहायता राशि में 10 गुना तक की वृद्धि हुई है।
राजस्व एवं पुनर्वास मंत्री श्री करण सिंह वर्मा ने बताया कि राजस्व पुस्तक परिपत्र में इस बार रेशम उत्पादन में लगे हुए किसानों के लिये भी प्रावधान किया गया है। नये प्रावधानों के तहत एरी, शहतूत और टसर फसल के लिये अब 4000 रुपये प्रति हेक्टेयर तथा मूँगा के लिये 5000 रुपये प्रति हेक्टेयर सहायता राशि दी जायेगी। पहले रेशम पालन में संलग्न किसानों के लिये इस तरह का कोई प्रावधान नहीं था।
श्री वर्मा ने बताया कि राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 में संशोधन के बाद जीरो से 2 हेक्टेयर तक कृषि भूमि धारित करने वाले लघु एवं सीमांत कृषक को अब 25 से 50 प्रतिशत फसल क्षति होने पर वर्षा से आधारित फसल के लिये साढ़े तीन हजार रुपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित फसल के लिये 6,000 रुपये प्रति हेक्टेयर, बारहमाही (बोवाई/रोपाई से 6 माह से कम अवधि में क्षतिग्रस्त या प्रभावित होने पर) 6,000 रुपये प्रति हेक्टेयर, बारहमाही (बोवाई/रोपाई से 6 माह से अधिक अवधि के बाद क्षतिग्रस्त या प्रभावित होने पर) फसल के लिये 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर और सब्जी की खेती के लिये 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान सहायता राशि दी जायेगी। वर्ष 2002 में यह सहायता अनुदान राशि 1,000 रुपये थी।
इसी तरह 50 प्रतिशत से अधिक फसल क्षति होने पर इन लघु एवं सीमांत किसान को वर्षा आधारित फसल के लिये 5,500 रुपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित फसल के लिये 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर, बारहमाही (बोवाई/रोपाई से 6 माह से कम अवधि में क्षतिग्रस्त या प्रभावित होने पर) 9,500 रुपये प्रति हेक्टेयर, बारहमाही (बोवाई/रोपाई से 6 माह से अधिक अवधि के बाद क्षतिग्रस्त या प्रभावित होने पर) 13 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर, सब्जी की खेती के लिये 13 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता अनुदान राशि दी जायेगी। वर्ष 2002 में यह राशि 2,000 रुपये प्रति हेक्टेयर थी।
श्री वर्मा ने बताया कि 2 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि धारित करने वाले किसानों को अब संशोधित प्रावधानों के तहत 25 से 50 प्रतिशत फसल क्षति होने पर वर्षा आधारित फसल के लिये 3,000 रुपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित फसल के लिये 4,500 रुपये प्रति हेक्टेयर, बारहमाही (बोवाई/रोपाई से 6 माह से कम अवधि में क्षतिग्रस्त या प्रभावित होने पर फसल के लिये 4,500 रुपये प्रति हेक्टेयर, बारहमाही (बोवाई/रोपाई से 6 माह से अधिक अवधि के बाद क्षतिग्रस्त या प्रभावित होने पर) 8,000 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर और सब्जी की खेती के लिये भी 8,000 रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान सहायता राशि निर्धारित की गई है। वर्ष 2002 में इन किसान के लिये कोई प्रावधान नहीं था।
इसी प्रकार 2 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि धारित करने वाले किसानों को अब 50 प्रतिशत से अधिक फसल क्षति होने पर वर्षा आधारित फसल के लिये 4,000 रुपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित फसल के लिये 7,500, बारहमाही (बोवाई/रोपाई से 6 माह से कम अवधि में क्षतिग्रस्त या प्रभावित होने पर फसल के लिये 9,500 रुपये प्रति हेक्टेयर, बारहमाही (बोवाई/रोपाई से 6 माह से अधिक अवधि के बाद क्षतिग्रस्त या प्रभावित होने पर) 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर और सब्जी की खेती के लिये भी 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान सहायता राशि निर्धारित की गई है। वर्ष 2002 में इनके लिये 1,000 रुपये सहायता अनुदान राशि का प्रावधान था।
श्री करण सिंह वर्मा ने जानकारी दी कि आरबीसी 6-4 के तहत अब फलदार पेड़, उन पर लगी फसलें, पान बरेजे आदि की हानि के लिये भी आर्थिक अनुदान सहायता में वृद्धि की गई है। नवीन दरों के अनुसार अब फलदार पेड़ या उन पर लगी फसलों (संतरा, नीबू के बगीचे, पपीता, केला, अंगूर, अनार आदि की फसलें छोड़कर) की 25 से 50 प्रतिशत तक फसल हानि होने पर 300 रुपये प्रति पेड़ और 50 प्रतिशत से अधिक हानि होने पर 400 रुपये प्रति पेड़ आर्थिक अनुदान सहायता देय होगी। इसी तरह संतरा, नीबू के बगीचे, पपीता, केला, अंगूर आदि की फसलों के 25 से 50 प्रतिशत तक हानि होने पर 6,000 रुपये प्रति हेक्टेयर, 50 प्रतिशत से अधिक फसल हानि होने पर 8,500 रुपये प्रति हेक्टेयर और पान बरेजे आदि की 25 से 50 प्रतिशत फसल हानि पर 18 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर या 450 रुपये प्रति पारी और 50 प्रतिशत से अधिक फसल हानि होने पर 28 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर या 700 रुपये प्रति पारी की दर से आर्थिक अनुदान सहायता राशि दी जायेगी। राजस्व सचिव श्री अजीत केसरी ने इस संबंध में सभी संभागायुक्त और कलेक्टर को निर्देश जारी कर दिए हैं।