इंदौर । रविवार दोपहर मुंबई के बॉम्बे हॉस्पिटल से आए पीडियाट्रिक डॉ. रवि रामाद्वार ने बच्ची का चेकअप किया और हालत खतरे से बाहर बताई। मनोचिकित्सक स्वाति प्रसाद व भास्कर प्रसाद ने बच्ची व माता-पिता की काउंसलिंग की। उसने धीमे स्वर में बताया कि उसे खिलौने और खाने में क्या पसंद है। वहीं पसंद के गाने सुनने पर हल्की सी खिलखिलाई।

मनोचिकित्सक ने बताया कि बच्ची सबको पहचान रही है। उसका मानसिक संतुलन ठीक है। भास्कर प्रसाद ने मातापिता की काउंसलिंग कर उनके मानसिक तनाव को जानने की कोशिश की। रविवार को पीड़िता ने बिस्किट खाया और पानी पीया। वह बात भी कर रही है। जल्द ही वार्ड में शिफ्ट करेंगे। डॉक्टरों के अनुसार इंदौर में इलाज बेहतर हो रहा है। इसलिए बाहर ले जाने की जरूरत नहीं है।

गुस्सैल व चिड़चिड़ी हो सकती है दो साल बाद

डॉक्टरों ने बच्ची के माता-पिता की काउंसलिंग के दौरान कहा कि फिलहाल उम्र कम होने से बच्ची हादसे को लेकर गुस्सा नहीं कर रही है। लेकिन दो साल बाद जब समझने लगेगी, तब स्वभाव में गुस्सा और चिड़चिड़ापन आ सकता है। इसी से बचाने के लिए लगातार काउंसलिंग जरूरी है।

डॉक्टरों ने समझाया – दुनिया बुरी नहीं, कुछ लोग बुरे हो सकते हैं…

बच्ची की काउंसलिंग के लिए मुंबई से पहुंची डॉक्टरों की टीम ने पहले बच्ची के दिल- दिमाग पर हुए हादसे के प्रभाव का आकलन किया और फिर उसे सामान्य करने के लिए हल्की-फुल्की बातें करते रहे। डॉक्टरों ने उसे समझाया कि दुनिया बुरी नहीं है, कुछ लोग बुरे हो सकते हैं और जो बुरे हैं उन्हें सजा जरूर मिलती है।

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