पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए चीन ने जिम्मा उठा लिया है। पाकिस्तान के घटते विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए चीन ने अब 1 अरब डॉलर की आर्थिक मदद दी है। पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास दूसरी बाल बेलआउट पैकेज के लिए जाने की आशंकाओं के बीच वित्त मंत्रालय में मौजूद 2 सूत्रों ने रॉयटर्स को यह जानकारी दी है।
ताजा कर्ज से एक बार फिर घटते विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने के लिए चीन पर इस्लामाबाद की निर्भरता साफ तौर पर दिख रही है। मई 2017 में पाकिस्तान के पास 16.4 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार था, जो बीते हफ्ते घटकर 9.66 अरब डॉलर रह गया है।

सूत्रों ने बताया, इस कर्ज के लिए दोनों देशों के बीच मई से ही बातचीत चल रही थी। पाकिस्तान ने चीन से 1 से 2 अरब डॉलर का कर्ज मांगा था।

चीन की तरफ से मिले कर्ज के सवाल पर वित्त मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा, ‘हां, यह हमें मिल गया है।’ दूसरे सूत्र ने कहा कि यह मामला अब पूरा हो गया है। हालांकि, वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस पर कोई भी बयान नहीं दिया है।

ताजा कर्ज के बाद अब जून में खत्म हो रहे वित्त वर्ष के दौरान चीन की तरफ से पाकिस्तान पर 5 अरब डॉलर का कर्ज हो गया है।

वित्त मंत्रालय के दस्तावेजों के मुताबिक वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में चीन ने पाकिस्तान को 1.5 अरब डॉलर द्विपक्षीय लोन दिया। मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि इस दौरान पाकिस्तान को 2.9 अरब डॉलर कमर्शल बैंकों की तरफ से लोन भी मिला है, जिनमें से अधिकांश चीन के बैंकों से मिला है।

बता दें कि पेइचिंग लगातार 57 अरब डॉलर की लागत से बन रहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को सफल बनाने के लिए पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को लगातार मजबूती देने की कोशिश कर रहा है।

लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की मदद पाकिस्तान के लिए पर्याप्त नहीं है और 25 जुलाई को देश के आम चुनावों के बाद नए प्रशासन को पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से दूसरा बेलआउट पैकेज लेना पड़ेगा। इससे पहले साल 2013 में पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज दिया गया था।

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