आपको यह खबर पढ़ने में जितना वक्त लगेगा, उतने में कुछ भारतीय भीषण गरीबी की चपेट से बाहर हो जाएंगे। दरअसल, हर मिनट 44 भारतीय अत्यंत गरीब की श्रेणी से निकल रहे हैं, जो दुनिया में गरीबी घटने की सबसे तेज रफ्तार है। नतीजतन, भारत ने सबसे बड़ी गरीब आबादी के देश का तमगा उतार दिया और मई 2018 में नाइजीरिया ने भारत की जगह ले ली।
अगर मौजूदा गति बरकरार रही तो भारत इसी वर्ष इस लिस्ट में एक पायदान और फिसलकर तीसरे नंबर पर आ जाएगा और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो उसकी जगह दूसरा पायदान हासिल कर लेगा। ब्रुकिंग्स के एक ब्लॉग में प्रकाशित हालिया अध्ययन की एक रिपोर्ट के मुताबिक अत्यंत गरीबी के दायरे में वह आबादी आती है जिसके पास जीवनयापन के लिए रोजाना 1.9 डॉलर (करीब 125 रुपये) भी नहीं होते। स्टडी कहती है कि 2022 तक 3 प्रतिशत से भी कम भारतीय गरीब रह जाएंगे जबकि 2030 तक देश से अत्यंत गरीबी का पूरी तरह खात्मा हो जाएगा।
ब्रुकिंग्स के ‘फ्यूचर डिवेलपमेंट’ ब्लॉग में प्रकाशित यह स्टडी कहती है, ‘मई 2018 के आखिर में हमारी ट्रैजक्टरीज से पता चला कि भारत के 7 करोड़ 30 लाख अत्यंत गरीब आबादी के मुकाबले नाइजीरिया में 8 करोड़ 70 लाख अत्यंत गरीब लोग हैं। नाइजीरिया में जहां हर मिनट 6 लोग भीषण गरीबी की चपेट में जा रहे हैं, वहीं भारत में इनकी संख्या लगातार घट रही है।’
हालांकि, गरीबी मापने में अंतर के कारण अत्यंत गरीब आबादी में कमी का आकलन भारत सरकार के अपने आकलन से मेल नहीं करेगी। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, 2004 से 2011 के बीच भारत में गरीबी कुल आबादी के 38.9 प्रतिशत से घटकर 21.2 प्रतिशत हो गई थी। (2011 की परचेजिंग पावर पैरिटी प्रति दिन 1.9 डॉलर यानी करीब 125 रुपये ही थी)
तेज आर्थिक वृद्धि से अत्यंत गरीबी घटाने में मिली मददः एक्सपर्ट्स
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि अध्ययन के नतीजे इस दलील का समर्थन करते हैं कि तेज आर्थिक वृद्धि ने भीषण गरीबी पर करारा प्रहार करने में मदद की है। नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी में प्रफेसर एन आर भानुमूर्ती ने कहा, ‘मूलतः यह वृद्धि की गाथा और 1991 के आर्थिक सुधारों का समर्थन करती है जिसने गरीबी कम करने में मदद की।’ उन्होंने आगे कहा, ‘भविष्य में टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने की चुनौती होगी, जिससे अध्ययन के ये नतीजे सच साबित हो सकेंगे कि भारत 2030 तक अत्यंत गरीबी जड़ से खत्म कर सकेगा।’
भानुमूर्ति का मानना है कि 2030 तक भारत अत्यंत गरीबी को पूरी तरह खत्म कर सकेगा, यह अनुमान गरीबी हटाने के देश के पिछले 10 साल के रेकॉर्ड और सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों को हासिल करने की इसकी क्षमता के मद्देनजर सही जान पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन इसे हासिल करने के लिए हमें शेष समयावधि में 7 से 8 प्रतिशत की दर से विकास करना होगा।’
संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रायोजित टिकाऊ विकास लक्ष्यों का मकसद 2030 तक दुनियाभर से गरीबी हटाना है। देश दर देश गरीबी के मानक अनुमानों में दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र के देशों में तेजी से गरीबी घटने के सबूत सामने आ रहे हैं। अध्ययन के मुताबिक, इसकी मुख्य वजह भारत, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, फिलिपींस, चीन और पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति आय में तेज वृद्धि है।
इसमें कहा गया है कि पिछले दशक में वैश्विक स्तर पर बढ़ी आमदनी की वजह से दुनियाभर में गरीबी दरों में गिरावट आई है जबकि भारत और चीन ने गरीबी की जंजीर तोड़कर बाहर निकलने वाले लोगों की कुल संख्या के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
स्टडी कहती है कि अफ्रीका में दुनिया के अत्यंत गरीब लोगों की दो तिहाई आबादी रहती है। अगर यही हाल रहा तो 2030 तक हर 10 में से 9 गरीब वहीं होंगे। इसमें आगे कहा गया है कि दुनिया के जिन 18 देशों में अत्यंत गरीबी बढ़ रही है, उनमें 14 अफ्रीका में ही हैं। इस अध्ययन का आकलन है कि 1 सितंबर 2017 को कुल 64 करोड़ 70 लाख लोग भीषण गरीबी की चपेट में थे।
यह कहती है, ‘हर मिनट 70 लोग यानी प्रति सेकंड 1.2 लोग इस जाल से निकल रहे हैं। यह टिकाऊ विकास लक्ष्य (प्रति मिनट 92 लोग या प्रति सेकंड 1.5 लोग) के करीब है जिससे हमें यह अनुमान लगाने में मदद मिलती है कि 2016 में 3 करोड़ 60 लाख लोग अत्यंत गरीबी की चपेट से बाहर निकले हैं।’