भोपाल। प्रधानमंत्री आवास योजना को मप्र में लागू करने के लिए मप्र सरकार अब 1500 करोड़ रुपए का लोन लेने जा रही है। यह लोन इलाहाबाद बैंक से लिया जा रहा है, जिसका उपयोग राज्य सरकार योजना में अपना हिस्सा देने के लिए करेगी।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले घरों में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, नगरीय निकाय और हितग्राही हर घर में अपना-अपना हिस्सा देते हैं। राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति पहले ही बहुत अच्छी नहीं है। इसलिए नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने लोन लेने का फैसला किया है।

विभाग ने पिछले दिनों विभिन्न् बैंकों से बाजार से कम दर पर लोन लेने के लिए टेंडर बुलाए थे। टेंडर के बाद इलाहाबाद बैंक से लोन लेने का फैसला किया गया। राज्य सरकार जहां लोन लेकर योजना के लिए पैसा दे रही है, वहीं नगरीय निकायों को भी अपना हिस्सा देने के लिए कर्ज लेना पड़ेगा।

आधारभूत संरचना पर भी होगा खर्च

नगरीय विकास विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पीएम आवास योजना के अलावा इस पैसे का उपयोग विभाग मुख्यमंत्री आधारभूत संरचना, सड़क, जल आपूर्ति जैसे प्रोजेक्ट पर भी हो सकेगा।

नगरीय निकायों को भी देंगे कर्ज

माना जा रहा है कि इन्हीं पैसों से नगरीय विकास विभाग निकायों को भी कर्ज देगा। निकायों से एक प्रतिशत ज्यादा ब्याज वसूला जाएगा। इस पैसे का इस्तेमाल निकाय योजना में अपना हिस्सा देने के लिए करेंगे।

विदेशी बैंकों के कर्ज से चल रहे छोटे शहरों के प्रोजेक्ट

मप्र के नगरीय निकायों के कई प्रोजेक्ट पहले से विदेशी बैंकों के कर्ज के भरोसे चल रहे हैं। खासकर छोटे शहरों में सीवरेज और जल आपूर्ति जैसे प्रोजेक्ट के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) से 4920 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया है।

इस लोन से 128 शहरों में जलप्रदाय और चार शहरों में सीवरेज व्यवस्था विकसित की जाएगी। वहीं नर्मदा और अन्य नदी के किनारे बसे शहरों व संभागीय मुख्यालय में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए वर्ल्ड बैंक से एक हजार करोड़ रुपए का लोन लिया गया है। इसके अलावा जर्मनी के केएफडब्ल्यू बैंक से भी विभाग ने 350 करोड़ रुपए का लोन विभिन्न् कार्यों के लिए ले रखे हैं।

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