उज्जैन के महाकाल मंदिर के बाहर फूल और प्रसाद बेचने को लेकर ऐसा झगड़ा हुआ कि मंदिर में दर्शन करने आए श्रद्धालु तक सहम गए. जहां मारपीट हुई वहां से सिर्फ़ 100 मीटर दूर पुलिस थाना था और महाकाल मंदिर में भी पुलिस चौकी है, लेकिन पुलिस को घटना की भनक तक नहीं लगी. करीब 20 मिनट तक मंदिर के बाहर खतरनाक मारपीट का ये तमाशा चलता रहा. हालांकि घटना के क़रीब एक घंटे बाद पुलिस ने दोनों पक्षों के ख़िलाफ़ मारपीट का मुकदमा दर्ज किया, लेकिन गिरफ़्तारी किसी की भी नहीं की गई. खतरनाक तरीके से हुई मारपीट की इस घटना ने महाकाल मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगा दिए हैं. महाकाल मंदिर के बाहर असुरक्षा और पुलिस की अनदेखी का ये आलम तब है जब दो दिन पहले भी यहाँ फूल प्रसादी बेचने को खूनृ-खराबा हो चुका है और एक युवक चाकूबाजी में गंभीर रूप से घायल होकर अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है.
ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब महाकाल मंदिर में चार स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था है और महाकाल मंदिर की पुलिस चौकी होने के साथ, थाना पुलिस, विशेष सशस्त्र बल, होमगार्ड्स के अलावा महाकाल मंदिर की खुद की सिक्योरिटी एजेंसी यहाँ सुरक्षा व्यवस्था संभाल रही है. अब देखना ये है कि महाकाल मंदिर के बाहर हुई मारपीट की इस खतरनाक घटना और आये दिन फूल प्रसादी बेचने को लेकर हो रहे खूनखराबे की घटनाओं को सिंघम के रूप में ख्याति अर्जित कर चुके पुलिस कप्तान सचिन अतुलकर और कलेक्टर मनीष सिंह क्या एक्शन लेते हैं.

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